भू-वैज्ञानिकों ने गंगोत्री हाइवे पर जतायी बड़े भूस्खलन की आशंका, पढ़िए पूरी खबर
भू-वैज्ञानिकों की टीम ने गंगोत्री हाइवे पर गंगोत्री से 35 किमी पहले सुक्की टॉप के पास बने भूस्खलन जोन का निरीक्षण किया और वहां बड़े भूस्खलन की आशंका जताई है।
उत्तरकाशी, जेएनएन। गंगोत्री हाइवे पर गंगोत्री से 35 किमी पहले सुक्की टॉप के पास बने भूस्खलन जोन का निरीक्षण करने गई भू-वैज्ञानिकों की टीम ने वहां बड़े भूस्खलन की आशंका जताई है। भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि सुक्की टॉप को तभी बचाया जा सकता है, जब इसका उपचार 700 मीटर नीचे भगीरथी के तट से हो। हालांकि, अभी टीम ने अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को नहीं सौंपी है।
उत्तरकाशी जिले में सुक्की के पास बीते कई वर्षों से लगातार भूस्खलन हो रहा है। भागीरथी नदी के किनारे से शुरू हुआ यह भूस्खलन अब 700 मीटर ऊपर सुक्की टॉप तक पहुंच चुका है। शीतकाल में तो सुक्की टॉप में बना व्यू प्वाइंट भी भूस्खलन के चलते धराशायी हो गया था। वहां पैदल मार्ग का भी कोई नामोनिशान नहीं दिखाई दे रहा। लगातार बढ़ते भूस्खलन से गंगोत्री हाइवे ही नहीं सुक्की टॉप के बाजार का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है। 'दैनिक जागरण' ने चार जुलाई के अंक में इस मामले को प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने भू-वैज्ञानिकों से सुक्की टॉप का निरीक्षण कराने के लिए पत्र लिखे।
बुधवार को जीएसआइ (भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण), वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान और आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के वैज्ञानिक सुक्की टॉप पहुंचे। वहां उन्होंने सुक्की टॉप और आसपास के क्षेत्र का निरीक्षण किया। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर सुक्की टॉप में इस भूस्खलन से छेड़छाड़ की गई तो यह विकराल रूप ले सकता है। इसका उपचार 700 मीटर नीचे भगीरथी नदी के तट से ही किया जाना चाहिए।
इस मामले में भू-वैज्ञानिक एक सप्ताह के अंतराल में जिला प्रशासन उत्तरकाशी को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे। भू-वैज्ञानिकों की टीम में जीएसआइ के डॉ. मृदुल श्रीवास्तव, वाडिया संस्थान से एकेएल अस्थाना, आपदा न्यूनीकरण केंद्र के अधिशासी निदेशक डॉ. पीयूष रौतेला, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल और बीआरओ (सीमा सड़क संगठन)के अधिकारी शामिल थे।
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