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बेमौसमी बारिश से मटर की फसल हो ही बर्बाद

संवाद सूत्र पुरोला रवाईं घाटी के रामा व कमल सिरांई सहित टौंस घाटी में बेमौसमी बारिश्

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Apr 2019 08:06 PM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 06:29 AM (IST)
बेमौसमी बारिश से मटर की फसल हो ही बर्बाद
बेमौसमी बारिश से मटर की फसल हो ही बर्बाद

संवाद सूत्र, पुरोला : रवाईं घाटी के रामा व कमल सिरांई सहित टौंस घाटी में बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि से काश्तकारों की मटर की फसल बर्बाद होने की कगार पर है। बेमौसमी बारिश के कारण परेशान काश्तकारों ने सरकार से नुकसान का जायजा लेने व उचित मुआवजे की मांग की है। क्षेत्र में ओलावृष्टि से सेब फ्लोरिग को भी भारी नुकसान होने से उद्यानपतियों के सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया है।

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रवाईंघाटी के कमल सिरांई व रामा सिरांई क्षेत्र के दर्जनों गांवों की मुख्य नगदी फसल मटर, टमाटर आदि हैं। अप्रैल में मटर की फसल पककर तैयार हो जाती है। रवांई घाटी के पुरोला, नौगांव, मोरी क्षेत्र में काश्तकार आजकल मटर तुड़ान में जुटे हैं। बीते दो दिन से जारी बेमौसमी बारिश के कारण खेतों में ही मटर की फली काली पड़कर सड़नी शुरू हो गई है। जो मटर तोड़कर मंडी में भेजे भी जा रहे हैं, सड़न के कारण काश्तकारों को उसके अच्छे दाम नहीं मिल रहे हैं। इससे काश्तकारों को लाखों रुपये के बीज का दाम निकलना भारी पड़ रहा है। मटर उत्पादक काश्तकार हकुमत सिंह रावत, श्यालिकराम नौटियाल, राजपाल पंवार, बहत्तर सिंह, कबूलचंद, गजेंद्र चौहान ने बताया कि क्षेत्र के किसानों ने लाखों रुपये का बीज आढ़तियों से उधार ले रखा है, अब बेमौसमी बारिश से किसानों को मेहनताना तो दूर, आढ़तियों का बीज का रुपया ही निकलना कठिन हो गया है। अधिक बारिश के कारण मटर की फली काली पड़ने से उसका उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। कई छोटे काश्तकार तो कृषि ऋण लेकर खेती करते हैं, जिनके ऊपर फिर बैंक का कर्ज बढ़ता जाता है। कहा यदि बारिश दो तीन दिन ऐसे ही होती रही तो उखड़ खेतों के मटर भी खराब हो जाएंगे। छोटे काश्तकारों के सामने आजीविका की समस्या उत्पन्न हो गई है। काश्तकारों ने सरकार से नुकसान का जायजा लेकर उचित मुआवजा की मांग की है।


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