चमाला की चौंरी पर बाड़ागड़ी और बाड़ाहाट आमने सामने
जागरण संवाददाता उत्तरकाशी पौराणिक माघ मेले (बाड़ाहाट का थौलू) में इस बार चमाला की
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : पौराणिक माघ मेले (बाड़ाहाट का थौलू) में इस बार चमाला की चौंरी में पूजा को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। चौंरी में पूजा करने को लेकर यह विवाद बुधवार देर रात तक चलता रहा। विवाद बढ़ता देख उप जिलाधिकारी देवेंद्र नेगी, सीओ कमल पंवार सहित पुलिस फोर्स भी मौके पर पहुंची, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल सकता।
बुधवार की दोपहर को पहले बाड़ाहाट के ग्रामीणों ने कंडार देवता की डोली को लक्षेश्वर से मकर संक्रांति पर्व पर गंगा स्नान के लिए मणिकर्णिका घाट ले गए। गंगा स्नान के के बाद ग्रामीणों ने कंडार देवता की डोली भैरव चौक के निकट चमाला की चौंरी (हाल में ही तैयार किए गए चबूतरे) में स्थापित की गई। जिसके बाद गंगा स्नानकर हरि महाराज का ढोल, नागदेवता और खंडद्वारी देवी की डोली के साथ बाड़ागड़ी के ग्रामीण चमाला की चौंरी पहुंचे। लेकिन, वहां चौंरी के नव निर्मित चबूतरे में कंडार देवता की डोली होने के कारण खंडद्वारी देवी की डोली को ग्रामीण चौंरी में पूजा करने नहीं पहुंची। बाड़ागड़ी के ग्रामीणों ने बाड़ाहाट के ग्रामीणों को कंडार देवता की डोली को कुछ समय के लिए चौंरी से हटाने के लिए कहा। लेकिन, बाड़ाहाट के ग्रामीणों ने कहा कि डोली उठाने वाले व्यक्ति गांव चले गए हैं। बाद में हरि महाराज का ढोल भी चौंरी के ऊपर कंडार देवता की डोली के पास रखा गया। यहां विवाद बढ़ता गया तो पुलिस प्रशासन का अमला मौके पर पहुंचा। प्रशासन ने भी दोनों पक्षों को समझाने का प्रयास किया। लेकिन, कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं था। गौरतलब है के बाड़ाहाट पट्टी के लोगों का कंडार आराध्य देवता है। जबकि बाड़ागड़ी के ग्रामीणों का हरि महाराज, नागदेवता व खंडद्वारी देवी आराध्य है। चमाला की चौंरी को लेकर इन दोनों पट्टियों के बीच काफी पुराना विवाद है।