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उत्तरकाशी में नहीं सुधरे शिक्षा व्यवस्था के हालात, पढ़िए पूरी खबर

उत्तरकाशी जिले में शिक्षा व्यवस्था के हाल बदहाल हैं। कहीं छात्र संख्या कम होने के चलते स्कूल बंद हो गए हैं। तो कहीं शिक्षकों की कमी के चलते पढ़ार्इ बाधित हो रही है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 22 Mar 2019 03:22 PM (IST)Updated: Fri, 22 Mar 2019 03:22 PM (IST)
उत्तरकाशी में नहीं सुधरे शिक्षा व्यवस्था के हालात, पढ़िए पूरी खबर
उत्तरकाशी में नहीं सुधरे शिक्षा व्यवस्था के हालात, पढ़िए पूरी खबर

उत्तरकाशी, जेएनएन। पुरोला ब्लॉक के सुदूरवर्ती क्षेत्र सर बडियार में स्कूल बंद होने के कारण छात्रों के सामने शिक्षा ग्रहण करने का संकट पैदा हो गया है। दरअसल, यहां नजदीकी स्कूल को बंद कर दिया गया है। इसके चलते ग्रामीणों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया है। जो छात्र स्कूल जा भी रहे हैं, उन्हें जंगल के रास्ते से होकर हर रोज आने-जाने में कुल छह किमी की पैदल दूरी नापनी पड़ रही है। सबसे अधिक परेशानी से पौंटी और छानिका के प्राथमिक स्तर के बच्चों की है। 

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सुदूरवर्ती क्षेत्र सरबडियार के गांवों में शिक्षा की बदहाल स्थिति है। अब सरकारी सिस्टम भी इन क्षेत्रों के स्कूलों को बंद करने की जुगत में लगा हुआ है। छह माह के अंतराल में प्राथमिक विद्यालय छानिका, प्राथमिक विद्यालय पौंटी और जूनियर हाईस्कूल पौंटी में विभाग ने ताले लगा दिए हैं। लंबे समय तक विभाग ने इन स्कूलों में शिक्षक नहीं भेजे। जिसके कारण आर्थिक रूप से संपन्न परिवारों ने गांव से पलायन किया। 

इसके कारण यहां छात्रों की संख्या दस से कम हो गई तो विभाग ने इन स्कूलों पर ताले लटका दिए। ऐसी स्थिति में सबसे अधिक संकट गरीब परिवारों के बच्चों के सामने आया, जिनके पास गांव में अपने बच्चों को शिक्षा देने के लिए कोई विकल्प नहीं है। सरकारी सिस्टम ने भी प्रभावित होने वाले गरीब छात्रों के बारे में कुछ नहीं सोचा। केवल यह कह दिया कि निकट के गांव के दूसरे स्कूलों में अपने बच्चों को भर्ती करा दें। डिगाड़ी गांव के कैलाश सिंह ने बताया कि पौंटी में करीब 50 तथा 40 परिवार छानिका में हैं। 

इन गांवों में कक्षा एक से लेकर कक्षा आठ तक के बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए तीन किलोमीटर दूर सर गांव में जाना पड़ रहा है। रास्ता जंगल से होकर गुजरता है, जो जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो रखा है। ऐसे में बच्चों को जान खतरे में डालकर स्कूल जाना पड़ता है। इसके कारण दोनों गांवों के ज्यादातर लोग अपने छोटे बच्चों को तो स्कूल भेज ही नहीं पा रहे हैं।

20 साल से नहीं सुधरी शिक्षा व्यवस्था

बर्नीगाड़, कुवंर सिंह तोमर। नौगांव ब्लॉक अंतर्गत पट्टी खाटल के गढ़ अंबेडकर गांव सहित आसपास के गांवों में शिक्षा के हालात ठीक नहीं है। इन गांवों के बेसिक स्कूल से लेकर माध्यमिक स्कूल तक शिक्षा की स्थिति आज भी जस की तस है। कक्षा एक से लेकर दस तक की कक्षाओं के संचालन के लिए इन दो विद्यालयों में केवल दो शिक्षक हैं। 

नौगांव ब्लॉक मुख्यालय से 26 किलोमीटर दूर अंबेडकर गांव गढ़ में राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय व प्राथमिक विद्यालय हैं। माध्यमिक विद्यालय में वर्तमान में 75 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। जबकि प्राथमिक विद्यालय में 38 छात्र-छात्राएं हैं। शिक्षकों की स्थिति देखें तो दोनों विद्यालयों में केवल एक-एक शिक्षक तैनात है। गढ़ गांव के प्रधान अरविंद रावत कहते हैं कि माध्यमिक विद्यालय में गढ़ के अलावा चोपड़ा, कस्लाना, न्यूड़ी व देवल के बच्चे भी आते हैं। शिक्षकों की कमी के कारण ग्रामीण अब पलायन करके अपने बच्चों को नौगांव व पुरोला के स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। 

स्थानीय ग्रामीण अमित रावत, पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य सरदार सिंह रावत कहते हैं कि शिक्षकों की कमी के संबंध में पिछले दो दशक से लगातार ग्रामीण मांग करते आ रहे हैं। ग्रामीणों ने विभाग के चक्कर के अलावा पूर्व विधायक, वर्तमान विधायक से भी इस समस्या को लिखित व मौखिक रूप में बताया है। पर, किसी ने इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया है। स्कूल की स्थित यह होती है जब शिक्षक को किसी कार्य से कहीं जाना पड़ता है तो स्कूल में ताले लटक जाते हैं। प्राथमिक विद्यालय की भी यही स्थिति है। वर्ष 2016 में एक शिक्षिका को इस स्कूल में भेजा गया था। लेकिन, विभागीय अधिकारियों ने उस शिक्षका को उत्तरकाशी जिला मुख्यालय में अटैच कर दिया।

इस मुख्य शिक्षाधिकारी आरसी आर्य ने बताया कि मामला संज्ञान में नहीं है, जिले में कई स्कूल शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं, शासन स्तर पर शिक्षकों की नियुक्ति होनी है जल्द ही रिक्त चल रहे स्कूलों में शिक्षकों की समस्या का दूर किया जाएगा।

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