चुनौतियों को लांघने बढ़ रहा है महिलाओं का कारवां
बढ़ती उम्र को चुनौती देने वाले फिट इंडिया के तहत 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं का दल ट्रांस हिमालय अभियान के 37 दर्रों को पार करते हुए गुरुवार को उत्तरकाशी पहुंचा।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : बढ़ती उम्र को चुनौती देने वाले फिट इंडिया के तहत 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं का दल ट्रांस हिमालय अभियान के 37 दर्रों को पार करते हुए गुरुवार को उत्तरकाशी पहुंचा। जहां इन पर्वतारोही महिलाओं का वरिष्ठ पर्वतारोही चंद्रप्रभा ऐतवाल, नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट, महंत अजय पुरी आदि ने भव्य स्वागत किया गया।
इस अभियान में चुनौतियों को लांघने के लिए 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं जुड़ती जा रही हैं। भारतीय मूल की यूएस नागरिक 75 वर्षीय गीता पटेल और दिल्ली निवासी 50 वर्षीय समरजीत कौर उत्तरकाशी से इस दल में शामिल हुई, जो शुक्रवार को हर्षिल के लिए चलेंगे। साथ ही हर्षिल से लम्खागा (17,320 फीट) दर्रे से होते हुए छितकुल हिमाचल प्रदेश पहुंचेंगे। इसके बाद जुलाई अंतिम सप्ताह में यह दल टाइगर हिल (कारगिल) पर पहुंचेगा।
गुरुवार को जिला सभागार में पत्रकारों से बातचीत के दौरान इस दल का नेतृत्व करने वाली भारत की पहली एवरेस्ट विजेता महिला पद्मभूषण बछेंद्रीपाल ने कहा कि उनकी टीम विश्व की सबसे मजबूत टीम है। गत 12 मार्च से शुरू हुए इस अभियान में पल-पल बदलते मौसम के साथ उनकी टीम कठिन परिस्थितियों से निपट रही हैं। ढलती उम्र में मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और शारीरिक चुनौतियों का भी मुकाबला कर रही हैं। अभी तक की ट्रैकिग में कई तरह के अनुभव रहे हैं।
109 दिनों की इस ट्रैकिग में उन्होंने केवल नौ दिन आराम किया है, जिसमें 3912 किलोमीटर की दूरी तय कर दी है। उनकी कोर टीम में कुल 12 महिलाएं हैं। जो साहसी और बेहद ही जांबाज हैं। अभी तक इस ट्रैकिग अभियान में 25 से अधिक महिलाएं जुड़ चुकी हैं, जिन्होंने उनके साथ काफी लंबी ट्रैकिग की है।
बछेंद्रीपाल कहती हैं कि हर दिन 10 से 12 घंटे तक चलना, फिर अगले दिन की प्लानिग करना, खाना बनाना, अपना सामान खुद लेकर चलना दैनिक दिनचर्या है। अब तक दो माह की ट्रैकिग में नेपाल की यात्रा सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण रही है। उन्होंने बताया कि एक दिन जंगल और पहाड़ों के बीच चलते हुए एक स्थान पर पहुंचे। वहां पर एक टीनशेड था। वहीं पर सभी महिलाओं ने अपना कैंप लगाया, वहीं पर खाना बनाया और उसी टीनशेड के पास सो गए। सुबह जब उठे तो निकट के गांव के ग्रामीणों ने बताया कि यह स्थल मोक्ष घाट है। टीन शेड शव रखने का स्थल है। इसके बाद भी कोई भी महिला नहीं घबरायी। इसके अलावा इस ट्रैकिग में उनके दल ने जंगली सब्जियां भी खाई।
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ये महिलाएं हैं कोर टीम में शामिल
पद्भूषण बछेंद्रीपाल, वसुमति श्रीनिवासन, चेतना साहू, सविता धपवाल, गंगोत्री सोनेजी, पायो मुर्मू, डा. सुषमा बिस्सा, मेजर कृष्णा दुबे, बिमला देवस्कर, एल अन्नपूर्णा, चौला जागीरदार, शामला पद्नाभन शामिल हैं।
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ट्रांस हिमालय का पहला अभियान
उत्तरकाशी : आजादी के अमृत महोत्सव व फिट इंडिया के तहत टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन और खेल एवं युवा मंत्रालय के संयुक्त निर्देशन में महिला ट्रांस हिमालय अभियान का आगाज हुआ। 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं का यह ट्रांस हिमालय का पहला अभियान है। इस अभियान में पद्भूषण बछेंद्री पाल के अलावा चेतना साहू और सविता धपवाल एवरेस्ट विजेता महिलाएं हैं। जबकि टीम में शामिल अन्य महिलाएं 90 के दशक में एवरेस्ट अभियान में शामिल रही हैं।