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बीमार ब्ल्यू शीप की तलाश को गई टीम लौटीं

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: गंगोत्री नेशनल पार्क क्षेत्र में अज्ञात बीमारी के चलते अंधी हो

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Oct 2018 10:42 PM (IST)Updated: Fri, 12 Oct 2018 10:42 PM (IST)
बीमार ब्ल्यू शीप की तलाश को गई टीम लौटीं
बीमार ब्ल्यू शीप की तलाश को गई टीम लौटीं

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी:

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गंगोत्री नेशनल पार्क क्षेत्र में अज्ञात बीमारी के चलते अंधी हो रही भरल (ब्ल्यू शीप) को तलाशने के लिए एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के आदेश पर अभियान जारी है। पार्क प्रशासन के नेतृत्व में बनी पांच टीमों ने अलग-अलग स्थानों पर जाकर बीमार भरल की तलाश की। टीमों को भरल के झुंड तो दिखाई दिए, लेकिन कहीं बीमार भरल नजर नहीं आई। क्यारकोटी क्षेत्र में गई टीम को तो भरल का झुंड भी नजर नहीं आया।

सितंबर 2017 में केदारताल क्षेत्र में ट्रै¨कग पर आए बीएसएफ के एक दल ने भरल के अंधी होने की सूचना वन विभाग को दी थी। तब वन विभाग ने एक भरल का नमूना भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) बरेली को भेजा। लेकिन, वह नमूना रिजेक्ट किया गया।

इसके बाद दिसंबर 2017 में एक टीम मृत पड़ी भरल के सिर का हिस्सा लेकर लौटी। इसे भी आइवीआरआइ ने जांच के लिए उपयुक्त नहीं पाया। इसके बाद एनजीटी की ओर से मामले का संज्ञान लेने पर वन विभाग ने अपना जवाब दाखिल किया। बताया गया कि गंगोत्री नेशनल पार्क में वन विभाग की टीम को एक बार अज्ञात बीमारी से ग्रसित दो भरल दिखाई दीं, जबकि भारतीय वन्यजीव संस्थान की टीम को बीमारी से ग्रसित पांच भरल नजर आईं। एनजीटी ने वन विभाग को निर्देश दिए कि मानसून से पहले और मानसून के बाद पार्क क्षेत्र में बीमार भरलों की तलाश कर उनका उपचार किया जाए।

इसी क्रम में अप्रैल, मई और जून में पार्क की टीम ने उच्च हिमालयी क्षेत्र का निरीक्षण किया, लेकिन बीमार भरल नहीं मिली। गत सात अक्टूबर को गंगोत्री नेशनल पार्क, भारतीय वन्यजीव संस्थान, नेहरू पर्वतारोहण संस्थान, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की पांच टीम अलग-अलग ट्रैक रूट पर गई। पार्क के उप निदेशक संदीप कुमार ने बताया कि बीमार भरल की तलाश में केदारताल ट्रैक, तपोवन, नेलांग घाटी, रुद्रगैरा ट्रैक व हर्षिल क्यारकोटी गई सभी टीमें लौट आई हैं। इन टीमों को भरल के झुंडों की संख्या, झुंडों में भरल, उन भरलों की फोटो व जीपीएस लोकेशन की जानकारी के साथ बच्चे, नर व मादा की संख्या दर्ज कराने के निर्देश दिए गए थे। चार टीमों को भरल के कई झुंड मिले, लेकिन इनमें कोई भी बीमार भरल नहीं मिली। जबकि क्यारकोटी वाले ट्रैक पर गई टीम को भरल का कोई झुंड नजर नहीं आया है। यह निरीक्षण मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के निर्देश पर किया गया था।


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