पहाड़ की महिलाओं के परिश्रम को 'अटल' प्रणाम
जब पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी उत्तरकाशी पहुंचे थे, उस वक्त उन्होंने पहड़ की महिलाओं के परिश्रम की सराहना की। साथ ही उनको प्रणाम किया।
उत्तरकाशी, [जेएनएन]: 'विचार अटल है। भले ही सियासत के इस संत का शरीर हमारे साथ न हो, लेकिन उनकी सीख मानवता को राह दिखाती रहेगी।' नगर पालिका उत्तरकाशी की पूर्व अध्यक्ष सुधा गुप्ता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए कहती हैं कि 'दो बार अटल जी हमारे घर आए और भोजन किया। बोले पहाड़ की महिलाओं के परिश्रम को मैं प्रणाम करता हूं।'
सुधा बताती हैं कि अटल जी दो बार उत्तरकाशी आए थे। वर्ष 1985 और वर्ष 1988 में। दोनों बार वह सुधा गुप्ता के घर पर ही रुके थे। वह बताती हैं कि वर्ष 1985 में जब अटल उत्तरकाशी आए तो कुछ अस्वस्थ लग रहे थे। वह बताती हैं कि मैंने अपने सामर्थ्य के अनुसार भोजन तैयार किया, लेकिन अटल जी ने दही के साथ बिना घी की दो रोटी ही खाईं। तब उनसे ज्यादा बातचीत नहीं हो पाई। इसके बाद मई 1988 में वे फिर आए। उनकी स्मरण शक्ति गजब की थी।
घर की सीढ़ियां चढ़ ड्राइंगरूम में पहुंचे तो बोले 'अरे यहां तो मैं पहले भी आया हूं। तब सोफा सामने रखा था। सामने की दीवार पर टंगा बिल्ली के बच्चों का चित्र नहीं दिखायी दे रहा।' सुधा कहती हैं कि तब मेरी छोटी बेटी सुरभि ने उन्हें बताया कि बिल्ली के बच्चों वाला चित्र हटा दिया और कमरे में बैठने का स्थान भी बदला है। इस बार लंबी बातचीत हुई। सुधा बताती हैं कि चर्चा का मुख्य केंद्र पहाड़ की महिलाएं रहीं।
महिलाओं की स्थिति पर चिंतित अटल जी ने कहा कि आप इस दिशा में काम करो। तब उन्होंने कहा था कि छोटी प्रशासनिक इकाईयों के जरिये ही विकास का सपना पूरा किया जा सकता है। वह कहती हैं कि बाद में उनका यही विचार उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ के रूप में सामने आया।
यह भी पढ़ें: अटल बिहारी वाजपेयी को पहाड़ों से था असीम लगाव, तलाशते थे सुकून
यह भी पढ़ें: कुमाऊं में कमल खिलाने में अटल ने निभाई अहम भूमिका