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NIM ने एक और उपलब्धि की हासिल, तीन सदस्यों ने छह दिन के अंदर तीन चोटियों का किया आरोहण

नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) ने कोरोना काल में एक और उपलब्धि हासिल की है। छह दिन के अंतराल में निम के तीन सदस्यों ने इनर लाइन क्षेत्र में तीन चोटियों का आरोहण किया।

By Edited By: Published: Fri, 04 Sep 2020 07:59 AM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2020 12:40 PM (IST)
NIM ने एक और उपलब्धि की हासिल, तीन सदस्यों ने छह दिन के अंदर तीन चोटियों का किया आरोहण
NIM ने एक और उपलब्धि की हासिल, तीन सदस्यों ने छह दिन के अंदर तीन चोटियों का किया आरोहण

उत्तरकाशी, जेएनएन। नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) ने कोरोना काल में एक और उपलब्धि हासिल की है। छह दिन के अंतराल में निम के तीन सदस्यों ने इनर लाइन क्षेत्र में तीन चोटियों का आरोहण किया। इन चोटियों का पहली बार आरोहण किया गया। इसमें दो चोटियों के नाम पहले से हैं, जबकि एक चोटी का नाम रखा जाना है। नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट के नेतृत्व में दो अन्य पर्वतारोहियों ने भारत-चीन बॉर्डर पर नेलांग घाटी में सफल पर्वतारोहण अभियान चलाया। 27 अगस्त को पर्वतारोहण की टीम उत्तरकाशी से रवाना हुई। 

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28 अगस्त को नागा के पास से आरोहण अभियान शुरू हुआ। तीन चोटियों को आरोहण के लिए चिह्नित किया। पहली बार इन चोटियों का आरोहण किए जाने से टीम ने दो दिनों तक ट्रैक को लेकर रेकी की। फिर 31 अगस्त को कर्नल अमित बिष्ट के नेतृत्व में नायब सूबेदार गिरीश सिंह नेगी और हवलदार अनिल कुमार ने 4790 मीटर ऊंची नागा चोटी और 5871 मीटर ऊंची कू चोटी का आरोहण किया। 

एक सितंबर को 5616 मीटर ऊंची अनाम चोटी का आरोहण किया। इन चोटियों का आरोहण एल्पाइन तरीके से किया गया। कर्नल अमित बिष्ट ने कहा कि संस्थान ने नियमों का पालन करते हुए उत्तरकाशी में स्थित अनाम और अनारोहित पर्वत शिखरों के आरोहण करने का निश्चय किया था। इससे एक सकारात्मक संदेश देश-विदेश के साहसिक क्रियाकलापों में रुचि रखने वाले पर्वतारोहियों और पर्यटकों तक पहुंचे।

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इससे उत्तराखंड में साहसिक पर्यटन को प्रोत्साहन मिल सके। कर्नल अमित बिष्ट ने बताया कि इन चोटियों में दो चोटियों के नाम तो हैं, लेकिन एक चोटी का नाम नहीं है। अनाम चोटी के निकट जुनतीधार नाम का स्थान है। इसलिए उसका नाम जुनती रखा जाएगा। इसके साथ ही इन चोटियों के संबंध में संपूर्ण जानकारी इंडियन माउंटनियरिंग फाउंडेशन और उत्तराखंड पर्यटन विभाग में दर्ज करायी जाएगी।

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