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हल्की वर्षा से खड़ा हो सकता है चुनौतियों का पहाड़

यमुनोत्री हाईवे पर रानाचट्टी भूधसाव जोन पर एक हफ्ते बाद भी स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 May 2022 10:08 PM (IST)Updated: Wed, 25 May 2022 10:08 PM (IST)
हल्की वर्षा से खड़ा हो सकता है चुनौतियों का पहाड़
हल्की वर्षा से खड़ा हो सकता है चुनौतियों का पहाड़

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: यमुनोत्री हाईवे पर रानाचट्टी भूधसाव जोन पर एक हफ्ते बाद भी स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है। यह स्थिति केवल एक घंटे की वर्षा से हुए भूधसाव से हुई है। मानसून सीजन सिर पर है और जिला प्रशासन की सूची में 70 भूस्खलन जोन हैं, जिनकी हल्की वर्षा होने पर सक्रिय होने

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की आशंका है। ऐसे में ये भूस्खलन जोन प्रशासन के सामने चुनौतियों का पहाड़ खड़ा कर देंगे। लेकिन, इससे निपटने के लिए प्रशासन की तैयारियां अभी भी अधूरी लग रही हैं। इसके कारण तीर्थयात्रियों और स्थानीयजनों की मुश्किलें और अधिक बढ़ सकती हैं।

गंगोत्री हाईवे पर चंबा और चिन्यालीसौड़ के बीच रमोलगांव धार के पास सबसे बड़ा भूस्खलन का डेंजर जोन है। लेकिन, इस डेंजर जोन को लेकर न तो टिहरी जिला प्रशासन संजीदा है और न उत्तरकाशी प्रशासन। अगर यात्रा के बीच मानसून सीजन में यह डेंजर जोन सक्रिय होता तो गंगोत्री-यमुनोत्री आने वाले तीर्थयात्रियों को खासी परेशानी झेलनी पड़ेगी। साथ ही उत्तरकाशी जनपद में यात्रा से जुड़े व्यावसायियों को भी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है। गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर चिन्यालीसौड़ से लेकर गंगोत्री के बीच अति संवेदनशील भूस्खलन जोन की संख्या 11 है। इनमें पुराना धरासू थाना, धरासू बैंड, बंदरकोट, नेताला, ओंगी, भाटूकासौड, मल्ला, स्वारीगाड़, हेल्गूगाड़, सुक्की टाप प्रमुख हैं। जबकि, यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर धरासू बैंड से लेकर जानकीचट्टी तक सात अति संवेदनशील भूस्खलन जोन हैं। इन भूस्खलन जोन में दोबाटा, सिलाई बैंड, पाली गाड़, डाबरकोट, ओरछा बैंड, कुथनौर, राना चट्टी आदि हैं। जबकि, संवेदनशील भूस्खलन जोन गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर 35 और यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर 19 हैं। ये भूस्खलन जोन कभी भी सक्रिय हो सकते हैं। साथ ही कई स्थानों पर रानाचट्टी की तरह नए भूस्खलन जोन बनने की आशंका है।

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जनपद में जो चिह्नित भूस्खलन जोन हैं, उनके निकट बीआरओ और एनएच की जरूरी मशीनरी तैनात हैं। सड़क बाधित होने की स्थिति में समय से सड़क को सुचारु किया जा सके।

देवेंद्र पटवाल, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी उत्तरकाशी


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