नहीं भरे आपदा के जख्म, रस्सियों में झूल रही ग्रामीणों की जिंदगी
उत्तरकाशी जिले (उत्तराखंड) में 2012 व 2013 की आपदा के दौरान बहे 11 पुल अब तक नहीं बन पाए हैं। ग्रामीण कच्ची पुलिया और रस्सी-ट्रॉलियों के सहारे नदी पार कर रहे हैं।
उत्तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: सीमांत उत्तरकाशी जिले (उत्तराखंड) में 2012 व 2013 की आपदा के जख्म अभी भी रह-रहकर टीस दे रहे हैं। आपदा के दौरान बहे पुलों को ही देख लीजिए। 11 पुल अब तक नहीं बन पाए। नतीजा, आज भी ग्रामीणों को नदी पार करने के लिए स्वयं बनाई अस्थायी कच्ची पुलिया और रस्सी-ट्रॉलियों का सहारा लेना पड़ रहा है। विडंबना देखिए कि सत्ता बदलने के बाद भी जिम्मेदारों की नजर इस ओर नहीं जा रही।
उत्तरकाशी जिले की गंगा व यमुना घाटी में 2012 व 2013 की आपदा में छोटे-बड़े 18 पुल बह गए थे। इनमें से संगमचट्टी में एक छोटा पैदल पुल, डिगिला में बेली ब्रिज, बनचौरा, बड़ेथी, अठाली, जोशियाड़ा व उत्तरो में झूलापुल तो बनकर तैयार हो गए हैं, लेकिन शेष पुलों पर या तो आधा-अधूरा कार्य हुआ अथवा हुआ ही नहीं।
इसके चलते 20 से अधिक गांवों के ग्रामीणों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। चामकोट, खरादी, नलूणा, ठकराल पट्टी के गौल, फूलधार, कुर्सिल, स्यालब, नगाणगांव, मशालगांव, सुंकण, थान आदि गांवों के लोग तो 2012 से रस्सी व ट्रॉलियों के सहारे ही नदियों को पार कर रहे हैं। गजोली-भंकोली, खेड़ाघाटी व बाडिया में बने अस्थायी पुल भी हर बरसात में बह जाते हैं। सो, ग्रामीणों को फिर ट्रॉली का सहारा लेना पड़ता है।
यह है पुलों की स्थिति
-सेकू गांव को जोड़ने वाले पुल की एप्रोज रोड की दीवार नहीं बनी।
-डिडसारी के पास झूलापुल तैयार, लेकिन दोनों ओर से एप्रोच रोड नहीं बनी।
-तिलोथ पुल का निर्माण अभी तक नहीं हो पाया।
-स्याबा गांव को जोड़ने के लिए नलूणा में बन रहे पुल का काम बीते छह माह से अधूरा।
-नौगांव ब्लॉक के बाडिया व खरादी, भटवाड़ी ब्लॉक के चामकोट, असी गंगा घाटी के गजोली व भंकोली को जोड़ने वाले पुलों पर अभी तक काम शुरू नहीं।
-मोरी ब्लॉक की खेड़ा घाटी में सुपीन नदी पर बनने वाले मोटर पुल पर अभी कार्य शुरू नहीं।
डॉ. आशीष चौहान, (जिलाधिकारी उत्तरकाशी) का कहना है कि पुल निर्माण करने वाले विभाग और संस्थाओं को सख्त हिदायत दी गई है। डिडसारी व सेकू पुल कुछ दिनों में ही तैयार हो जाएंगे। अन्य पुल भी समय पर तैयार किए जाएंगे।
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