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जया के जज्बे को अमेरिका का सलाम

जागरण संवाददाता, सितारगंज : सरकारी नौकरियों का मोह छोड़कर समाज सेवा को जीने का आधार बनाया। सेवा कहीं

By JagranEdited By: Published: Wed, 07 Mar 2018 11:10 PM (IST)Updated: Wed, 07 Mar 2018 11:10 PM (IST)
जया के जज्बे को अमेरिका का सलाम
जया के जज्बे को अमेरिका का सलाम

जागरण संवाददाता, सितारगंज : सरकारी नौकरियों का मोह छोड़कर समाज सेवा को जीने का आधार बनाया। सेवा कहीं कम न होने पाए इसलिए अपना घर भी नहीं बसाया। 18 साल से अशिक्षित गरीब महिलाओं, बालिकाओं व बच्चों को परिवार मानकर उनके चेहरों पर मुस्कान लाना ही जया मिश्रा के जीवन का मकसद बन गया। छोटे से गांव से निकली इस युवती का विजन अमेरिका को भी भा गया है। अमेरिका ने जया के कार्यो की छह डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनाई है। सेवा-भाव पर बनी इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म को न्यूयार्क यूनिवर्सिटी में दिखाकर छात्रों को प्रेरणा दी जाएगी।

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अमेरिका के न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय की एशिया अध्ययन विभाग की हेड प्रोफेसर गैव्रिएला निक इलेवा के निर्देश पर बीते दिनो एक टीम ने यहां पहुंचकर सितारगंज व रुद्रपुर क्षेत्र में उनके किए गए कायरें पर 6 डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनाई हैं। जया मिश्रा ने बताया कि बालश्रम व बालिका शिक्षा पर बनी ये फिल्में न्यूयार्क विश्वविद्यालय के सामाजिक, न्याय और नागरिकता के तहत पाठ्यक्रम में शामिल की जायेंगी। इनके जरिये दोनों विषय पर छात्रों को शिक्षा दी जाएगी।

उधमसिंहनगर के छोटे से गाव इंद्रपुर में जन्मी जया ने एमए हिंदी व एमबीए की शिक्षा ग्रहण करने के बाद सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुटी थीं। वर्ष 1998 में वे मध्यप्रदेश पीसीएस चयन प्रक्रिया की इंटरव्यू तक पहुंची। लेकिन वे गुजरात की इला भट्टं के कार्यो से प्रभावित हो गई और उन्होंने समाज सेवा करने का मन में संकल्प लिया। पिता शुभकरन मिश्रा एवं मां स्वर्गीय सावित्री मिश्रा की गांधीवादी विचारधारा की वजह से ही जया में बचपन से ही दूसरों की सेवा का भाव रहा। उन्होंने सामाजिक क्षेत्र में वंचित लोग खासकर बच्चों और महिलाओं के लिए काम करने का बीड़ा उठाया। इसके लिए 1983 में कुमाऊं सेवा समिति नाम की स्वंयसेवी संस्था से जुड़ गई। वर्ष 2002 से बच्चों के अधिकारों और शिक्षा के लिए कार्य करनें वाली विश्व प्रसिद्ध संस्था चाइल्ड राइट एण्ड यूए व उत्तराखंड महिला एवमं बाल विकास विभाग के सहयोग से कार्य प्रारंभ किया। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल में सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओं के वित्तीय सहयोग से विभिन्न परियोंजनाओं के माध्यम से बच्चों और महिलाओं के उत्थान के लिए कार्य कर रही हैं। उन्होंने 2002 में जनपद उधम सिंह नगर के जनजाति बाहुल्य सितारगंज क्षेत्र में 350 समूह बनाकर 3500 महिलाओं को संगठित कर आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए प्रेरित किया। जिनमें 80 से अधिक महिलायें पंचायत प्रतिनिधि, आशा व आगनबाड़ी में कार्यरत है। 70 महिलायें समूहों की प्रेरक के रूप में कार्य कर रही है। 2004 में बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए बाल अधिकार मंच का गठन किया। जया ने मलिन बस्ती के लोगों के विकास व भिक्षावृत्ति रोकने के लिए कार्यक्रम शुरू किए गए। अब तक वे तीस हजार से अधिक महिला, किशोरी व बच्चों को मानव तस्करी, आजीविका संवद्‌र्ध्रन, महिला सुरक्षा, कन्या भ्रूण हत्या, बालिका शिक्षा जैसे मुद्दों को कार्यशाला, प्रशिक्षणों के माध्यम से जागरूक कर उन्हें सशक्त बनाया।

यहीं नहीं 2015 में नेपाल के चैतारा में आए भूकंप के बाद अचानक मानव तस्करी बढ़ गई थीं। उन्होंने प्रभावित क्षेत्र व परिवारों से मिलकर एक जागरूकता अभियान चलाया।

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72 बिछड़े बच्चों मिलाया

सितारगंज: चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 के माध्यम से जया ने 72 गुमशुदा बच्चों को उनके परिवार से मिलाया। जिनमें नेपाल की तीन बालिकाएं भी शामिल है।

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बच्चों के लिए बनाई बालबाड़ी

सितारगंज: जया ने संस्था के माध्यम से 400 बच्चों के लिए बालबाड़ी का संचालन कराया। यहां बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी गई। बाद में इन बच्चों को सरकारी स्कूलों से जोड़ दिया। शैक्षिक अभियानों के जरिये 265 ऐसी किशोरियकों को विद्यालय से जोड़ दिया, जो पहले कभी स्कूल नहीं गई थीं। इनकी संस्था ने 300 ड्रॉप आउट बच्चो को विद्यालय में प्रवेश दिलाया। 15 प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों के लिए पुस्तकालय और साइंस किट की व्यवस्था कराई। सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए उन्होंने 25 बाल विवाह भी नहीं होने दिए।

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तीलू रौतेली के साथ आधा दर्जन मिले अवार्ड

सितारगंज: समाजसेविका जया मिश्रा को 2012-13 में राज्य सरकार ने तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित किया था। इससे पहले 2007 में पंतनगर विश्वविद्यालय ने महिला सशक्तीकरण की ओर बढ़ते कदम का सम्मान दिया। 2017 में उन्हें प्रमुख समाचार पत्र दैनिक जागरण व भोर संस्था ने सम्मानित किया था।

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बाल संरक्षण आयोग की रही सदस्य

सितारगंज: वर्ष 2012 से 2017 तक जया मिश्रा उत्तराखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य रही। इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रीय महिला आयोग की राष्ट्रीय महिला नीति 2016 के ड्राफ्ट पर हुई चर्चा बैठक में शामिल होकर सुझाव भी दिए थे।


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