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काशीपुर की तीन बेटियों ने लिया नेत्रदान का निर्णय

काशीपुर की तीन बेटियों ने अपने जीवन के बाद आंखों को दृष्टिहीनों को देने का निर्णय लिया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Jun 2021 08:48 PM (IST)Updated: Wed, 09 Jun 2021 08:48 PM (IST)
काशीपुर की तीन बेटियों ने लिया नेत्रदान का निर्णय
काशीपुर की तीन बेटियों ने लिया नेत्रदान का निर्णय

जागरण संवाददाता, काशीपुर :

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नगर की तीन बेटियों ने अपने जीवन के बाद आंखों को दृष्टिहीनों को देने का निर्णय लिया है। खास बात यह है दृष्टिहीनों की ज्योति बनने का यह संकल्प जन्मदिन पर उपहार के रूप में लिया गया।

चामुंडा मंदिर के निकट रहने वाली लगभग 28 वर्षीय रजनी ने बुधवार को अपने जन्मदिन पर यह संकल्प पत्र भरा। पेशे से ब्यूटी पार्लर चलाने वाली रजनी ने तय किया था कि जन्मदिन के उपहार के रूप में भी वह यही संकल्प लेंगी। दो सहेलियों ज्योति रावत (उम्र 26 वर्ष) व प्रतिभा (उम्र 30 वर्ष) ने उनका संकल्प पूरा किया। तीनों सहेलियां नगर के प्राइवेट हॉस्पिटल में नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. कनिका अग्रवाल से मिलीं, जहां उन्होंने केक काटने के साथ ही संबंधित फार्म भरा। उनके इस कदम पर यहां हर कोई प्रशंसा कर रहा है। रजनी की माता सरोज देवी व पिता मोहन सिंह रावत भी शीघ्र अपनी बिटिया के संकल्प में साथ देंगे। कोविड महामारी की रोकथाम को बनी गाइडलाइन के चलते बुजुर्ग होने के कारण वे जन्मदिन के अवसर पर सहभागी नहीं बन सके। वहीं, तीनों सहेलियों ने कहा कि नेत्रदान का फार्म भरकर वे खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हैं।

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अंगदान के लिए भी कर रहीं प्रेरित मृत्यु के बाद शरीर के उपयोगी अंगों को जरूरतमंदों को देने को लेकर भी रजनी लोगों को प्रेरित कर रही हैं। वह कहती हैं कि ऐसा करने से किसी जरूरतमंद को स्वस्थ जीवन मिल सकता है। हर स्वस्थ नागरिक को अंगदान के लिए आगे आना चाहिए।

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उम्र की नहीं कोई बाध्यता नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. कनिका अग्रवाल ने कहा कि रजनी व उनकी दो सहेलियों ने नेत्रदान के लिए फार्म भरा है। यह फार्म भरने के लिए उम्र की कोई बाध्यता नहीं है। लोगों को इसे लेकर और भी जागरूक होने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नेत्रदान से किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है।

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खेलने के दौरान हुआ अहसास

रजनी बताती हैं कि वह एक दिन घर में छोटे बच्चों के साथ आंखों पर पट्टी बांधकर खेल रही थी। इस दौरान खेलते-खेलते वह दो बार दीवार से टकरा गई। तब उन्हें दृष्टिहीनों के कष्ट का अहसास हुआ। उसी दिन उन्होंने नेत्रदान का संकल्प लिया।

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अन्य स्वजनों को भी करेंगी तैयार रजनी बताती हैं कि उनके परिवार में नौ सदस्य हैं, जिन्होंने उनके फैसले को सराहा। साथ ही नेत्रदान करने का भी वादा किया है। स्वजनों के संकल्प पत्र भरने तक वह अपना प्रयास जारी रखेंगी।


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