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टंकी खुलने की आहट ने खोला राज

रात एक बजे चंद्रपाल की छत पर किसी के कूदने की आहट सुनाई दी तो परिजनों ने उसे टंकी खोलते देख लिया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Feb 2019 06:21 AM (IST)Updated: Fri, 22 Feb 2019 06:21 AM (IST)
टंकी खुलने की आहट ने खोला राज
टंकी खुलने की आहट ने खोला राज

वीरेंद्र भंडारी, रुद्रपुर

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रात एक बजे चंद्रपाल की छत पर किसी के कूदने की आहट सुनाई दी तो सजग परिजनों ने वहां आरोपित को टंकी खोलते देख लिया। उसे पकड़ने का प्रयास किया तो वह धक्का मारकर घर में घुस गया। इसके बाद उसकी सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस उसे थाने ले गई, जहां गुरुवार सुबह एसओ विद्यादत्त जोशी की सख्ती पर उसने सच उगल दिया। बताया कि उसकी योजना शव को टंकी में फेंकने की थी।

इकलौते पुत्र के गायब होने की खबर मिलते ही चंद्रपाल के घर में नाते रिश्तेदार भी आ गए थे। अंश के न मिलने से परेशान परिजनों की आंखों से नींद भी गायब थी। रात एक बजे तक वे घर में आपस में बात कर रहे थे। इसी बीच पड़ोसी पप्पू का पुत्र हर्षस्वरूप अपनी छत से कूदकर चंद्रपाल की छत पर आ गया। इस दौरान वह छत पर स्थित टंकी को खोलने लगा। उसकी इस हरकत पर चंद्र पाल की पत्नी हीरा कली और साली की नजर पड़ गई। उन्होंने छत पर जाकर उसे पकड़ने का प्रयास किया तो वह धक्का मारकर अपने घर चला गया। शोर होने पर चंद्रपाल और अन्य नाते रिश्तेदार के साथ ही आसपास रहने वाले लोग घरों से बाहर आ गए। इस पर चंद्रपाल की सूचना पर पहुंची पुलिस उसे थाने ले गई। रातभर पुलिस कर्मी उससे पूछताछ करते रहे, लेकिन वह कुछ नहीं बोला। गुरुवार सुबह एसओ ट्रांजिट कैंप विद्यादत्त जोशी थाने पहुंचे, जिनकी सख्ती पर वह टूट गया। इसके बाद पुलिस ने उसकी निशानदेही पर मासूम अंश की लाश हत्यारोपित हर्षस्वरूप के घर से बरामद की।

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दो दिन से नहीं निकला था कोई बाहर

आरोपित हर्षस्वरूप के परिवार का कोई भी सदस्य दो दिन से घर से बाहर नहीं निकला था। बताया जा रहा है कि आरोपित अपने पिता पप्पू, सौतेली मां रूपवती, भाई पवन, जय¨वदर और आकाश के साथ रहता है। वह राजमिस्त्री का काम करता है। आसपास के लोगों के मुताबिक अंश के गायब होने के बाद सभी उसकी तलाश में जुटे थे, लेकिन हर्षस्वरूप का परिवार घर से बाहर नहीं निकला। बुधवार को भी उनके घर में कोई हलचल नहीं हुई।

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पुलिस ने छानी छत

अंश के लापता होने की सूचना पर पुलिस भी आजादनगर पहुंच गई। छत पर छानबीन करने के साथ ही नीचे गिरने की आशंका पर भी खोज की, लेकिन वह नहीं मिला।

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नहीं जाता था अंश स्कूल

चंद्र पाल ने बताया कि अंश सात साल का हो गया था। वह अभी तक बोल नहीं पाता था। केवल मां और पा ही कह पाता था। इसके कारण उन्होंने उसे स्कूल भी नहीं भेजा था।


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