पैसे देकर फंसा समाज कल्याण विभाग
जागरण संवाददाता रुद्रपुर कन्याधन का जल्दबाजी में किया गया भुगतान जिला प्रशासन के गले की फांस
जागरण संवाददाता, रुद्रपुर: कन्याधन का जल्दबाजी में किया गया भुगतान जिला प्रशासन के गले की फांस बनता जा रहा है। दो छात्राओं को 50 हजार की धनराशि देने वाला विभाग भी यह नहीं बता पा रहा है कि आखिर यह पैसा किस मद से दिया गया। जबकि आधी छात्रवृत्ति मिलने के बाद दोनों छात्राएं पूरी धनराशि देने की मांग कर रही है। सीडीओ मामले में अभी तक जांच चलने की बात दुहरा रहे हैं।
किच्छा निवासी छात्राएं शशि प्रभा व रोशनी ने वर्ष 2014 में इंटरमीडिएट पास किया। इसके बाद उन्होंने नंदा गौरा कन्याधन के लिए आवेदन किया। तय समय बीतने के बाद भी कन्याधन छात्रवृत्ति नहीं मिलने पर बजट नहीं आने का हवाला समाज कल्याण विभाग ने दिया। छात्राएं पूरे पांच साल तक विभाग का चक्कर लगाती रही। छात्रवृत्ति नहीं मिलने पर उन्होंने जनसुनवाई दिवस में अपील की। एडीएम जगदीश चंद्र कांडपाल ने मामले की सुनवाई की और छात्राओं का मामला वाजिब बताते हुए समाज कल्याण विभाग से कार्रवाई को कहा। जिसके बाद दोनों छात्राओं को 25-25 हजार का चेक दिया गया। बजट आने के बाद पूरा पैसा देने को कहा गया। तब से करीब छह माह बाद छात्राएं हर जन सुनवाई में पहुंच रही हैं। सीडीओ मयूर दीक्षित ने बताया कि मामले में फिर से जांच की जा रही है। छात्राओं के कागजात की जांच नए सिरे से करने की बात हो रही है। जिसमें दिया गया धन वापस भी लिया जा सकता है। फिलहाल अभी कुछ स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।
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चंदा लगाकर दिया था धन
रुद्रपुर: समाज कल्याण विभाग में छात्रवृत्ति पटल प्रभारी पुष्पा जोशी ने पहले तो यह कहा कि एडीएम के मौखिक निर्देश पर उन्होंने अपनी सैलरी से 50 हजार की धनराशि दे दी थी। अब उनका कहना है कि उन्होंने कार्यालय स्टाफ से चंदा लेकर धनराशि अदा की। उन्होंने किसी सरकारी मद से 50 हजार रुपये देने से इंकार किया है। कार्यालय के अन्य कर्मचारी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं।
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छात्रवृत्ति मामले में मुझे कोई जानकारी नहीं है। यह भी नहीं पता है कि छात्राओं को 50 हजार रूपये दिये गए हैं। इस प्रकरण के समय अवकाश पर था।
-नवीन त्रिपाठी, समाज कल्याण अधिकारी, ऊधमसिंह नगर
---वर्जन--- दो छात्राओं को धनराशि देने के संबंध में कुछ याद नहीं है। जनसुनवाई के दौरान दर्जनों मामले आते हैं। इस संबंध में पता करने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
-जगदीश चंद्र कांडपाल, एडीएम, ऊधमसिंह नगर