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एनएच मुआवजा घोटाले में एसआइटी ने दाखिल की चार्जशीट

करीब 220 करोड़ के एनएच-74 मुआवजा घोटाले में एसआइटी ने दो पीसीएस अफसरों समेत छह अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट, नैनीताल में चार्जशीट दाखिल कर दी।

By BhanuEdited By: Published: Fri, 13 Apr 2018 11:00 AM (IST)Updated: Fri, 13 Apr 2018 10:23 PM (IST)
एनएच मुआवजा घोटाले में एसआइटी ने दाखिल की चार्जशीट
एनएच मुआवजा घोटाले में एसआइटी ने दाखिल की चार्जशीट

रुद्रपुर, [जेएनएन]: करीब 220 करोड़ के एनएच-74 मुआवजा घोटाले में एसआइटी ने दो पीसीएस अफसरों समेत छह अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट, नैनीताल में चार्जशीट दाखिल कर दी। 

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पीसीएस अफसरों में निलंबित भूमि अध्याप्ति अधिकारी (एसएलएओ) अनिल कुमार शुक्ला और निलंबित एसडीएम नंदन सिंह नगन्याल शामिल हैं। इन सभी पर कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर बैकडेट में कृषि भूमि को अकृषक दिखाकर करोड़ों के वारे-न्यारे करने का आरोप है। 

एसएलएओ रहते डीपी सिंह ने जो किया, वही अनिल कुमार शुक्ला ने भी भूमि की प्रकृति बदलते हुए खेल खेला। वहीं नंदन सिंह नगन्याल ने तो एक ही दिन में भूमि अधिग्र्रहण की 200 फाइलों को हरी झंडी दे दी।

एनएच मुआवजा घोटाले की जांच को एक साल से अधिक बीत चुका है। इस घोटाले में अब तक चार पीसीएस अफसरों समेत 20 अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ ही दो किसानों को जेल भेजा जा चुका है। दो फरवरी को पुलिस ने इस मामले में पहली चार्जशीट दाखिल की थी। दूसरी चार्जशीट गुरुवार को दाखिल की गई। 

इसमें पूर्व एसएलएओ अनिल कुमार शुक्ला, निलंबित एसडीएम नंदन सिंह नगन्याल, तत्कालीन तहसीलदार मोहन सिंह, सहायक चकबंदी अधिकारी अमर सिंह और गणेश प्रसाद निरंजन के अलावा राजस्व अहलमद संतराम शामिल हैं। 

एसएसपी डॉ. सदानंद दाते ने बताया कि अनिल कुमार शुक्ला और नंदन ङ्क्षसह नगन्याल पर चार्जशीट से पूर्व प्रमुख सचिव कार्मिक की अनुमति ली गई। जबकि तत्कालीन तहसीलदार मोहन सिंह पर राजस्व परिषद व संतराम पर चार्जशीट की डीएम ने अनुमति दी। 

सहायक चकबंदी अधिकारी अमर सिंह और गणेश प्रसाद पर आरोप पत्र को लखनऊ से अनुमति ली गई थी। चार्जशीट में सभी पर आरोप है कि उन्होंने एक राय होकर संगठित रूप से षडयंत्र रचा। गलत रिपोर्ट प्रेषित कर कूट रचित दस्तावेजों व नियमों की अनदेखी कर बैक डेट पर भूमि अधिग्र्रहण संबंधी कार्यवाही की गई। 

तत्कालीन एसएलएओ व उनके कार्यालय के कार्मिकों के साथ मिलकर हाईवे 74 की जद में आ रही भूमि की प्रकृति बदली गई। इसके साथ ही सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाते हुए कई गुना मुआवजा बांटा गया। 

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