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मुस्लिम महिलाओं की बेहतरी को सायरा बन रहीं नजीर

अरविंद कुमार ¨सह, काशीपुर: कहते हैं कि गलत के खिलाफ आवाज व स्वाभिमान की लड़ाई में हि

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 09:00 AM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 09:00 AM (IST)
मुस्लिम महिलाओं की बेहतरी को सायरा बन रहीं नजीर
मुस्लिम महिलाओं की बेहतरी को सायरा बन रहीं नजीर

अरविंद कुमार ¨सह, काशीपुर: कहते हैं कि गलत के खिलाफ आवाज व स्वाभिमान की लड़ाई में हिम्मत व जच्बा होना चाहिए। डाक के जरिये तीन तलाक की रजिस्ट्री मिली तो सायरा बानो पर मानो पहाड़ जैसी मुसीबत आ गई हो। सायरा ने इसके खिलाफ जंग छेड़ी। केस वापस लेने की धमकियां भी मिली, मगर वह हार नहीं मानी। मुस्लिम महिलाओं को इस कुप्रथा से बचाने का जुनून कायम रहा। इसी का नतीजा था कि सुप्रीम कोर्ट में जंग जीती भी। यहीं नहीं, इस पर अध्यादेश भी लागू किया गया। अब सायरा का लक्ष्य हलाला व बहुíववाह को खत्म कराने का है। जिससे मुस्लिम महिलाओं की ¨जदगी बेहतर हो सकें। सायरा महिलाओं की नजीर बन गई है। इससे तीन तलाक के खिलाफ महिलाएं सामने आने लगी हैं।

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काशीपुर निवासी सायरा बानो पुत्री इकबाल अहमद का निकाह जून 2002 में प्रयागराज, इलाहाबाद उत्तर प्रदेश निवासी रिजवान अहमद के साथ हुआ था। कुछ माह तक सब कुछ ठीक चला। बाद में दोनों किराये के मकान में रहने लगे। रिजवान प्रॉपर्टी डीलर का काम करता था। इनके दो बच्चे बेटा मोहम्मद इरफान व बेटी मुस्कान है। पति के उत्पीड़न से तंग आकर सायरा 2015 में सायरा मायके चली गई। वह पिता के साथ हेमपुर डिपो में रहती है। इसके बाद रिजवान ने डाक के जरिये तीन तलाक का सम्मन भेजा। सम्मन पढ़ते ही सायरा व मायकेवालों के पैरों से जमीन खिसक गई। सायरा ने अक्टूबर 2015 में काशीपुर फैमिली कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर घरेलू ¨हसा का आरोप व परवरिश के लिए खर्च की मांग की। कोर्ट ने रिजवान को उपस्थित होने को कई बार तलब किया, मगर वह उपस्थित नहीं हुए। इस पर सायरा ने फरवरी 2016 में सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक के खिलाफ प्रार्थना पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई। इसके बाद केस वापस लेने व समझौता के लिए कई बार सायरो पर दवाब बनाया गया, मगर सायरा अपने निर्णय पर कायम रही। अदालत ने 22 अगस्त 2017 को सायरा के पक्ष में फैसला आया। साथ ही केंद्र सरकार को कानून बनाने का आदेश दिया। केंद्र सरकार ने लोकसभा में तीन तलाक के खिलाफ बिल पेश किया और पास भी हुआ, मगर राज्य सभा में बहुमत न होने से कानून का रूप नहीं ले सका। ऐसे में सरकार ने 11 जनवरी 2018 को दोबारा अध्यादेश लागू किया है। ========== कानून से आएगा बदलाव काशीपुर: तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम महिलाओं को काफी बदलाव दिखने को मिल रहा है। पहले तीन तलाक के खिलाफ कम महिलाएं पुलिस में शिकायत करने जाती थी। जो जाती थी तो उन्हें खास तवच्जो नहीं दी जाती थी। अब महिलाएं खुलकर सामने आ रही हैं। शिकायतें सुनी जा रही हैं। सायरा का कहना था कि हलाला व बहुíववाह जैसी सामाजिक कुरीतियों का खात्मा होने से महिलाओं का शोषण नहीं हो पाएगा। इस मामले को लेकर समाज में अभी गुस्सा इसलिए है कि मुस्लिम समुदाय पूरी तरह इससे सहमत नहीं है। फिर भी अब लोग जागरूक हो रहे हैं। ========== चुनौतियों का डटकर किया सामना

काशीपुर: सायरा बानो ने कहा कि तीन तलाक के खिलाफ जंग लड़ने से कोई फायदा नहीं होगा। केस वापस लेने के लिए दवाब के साथ धमकियां भी मिलीं, मगर डरी नहीं। जब खुद की ¨जदगी खराब हो गई तो अन्य मुस्लिम महिलाओं की ¨जदगी इस कुप्रथा से खराब नहीं होने दूंगी। बहुíववाह व हलाला की कुप्रथा खत्म करने के बाद भविष्य में मुस्लिम महिलाओं व पीड़ित महिलाओं की सेवा करुंगी। कुछ लोग राज्य सभा में तीन तलाक का बिल पास नहीं होने दे रहे हैं। बिल पास होने पर कानून बन पाएगा।


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