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उचित दाम न मिलने से बंदी की कगार पर पहुंची राइस मिलें

जागरण संवाददाता, सितारगंज : उचित मूल्य न मिलने से क्षेत्र की राइस मिलें बंदी की कगार पर पहुंच

By JagranEdited By: Published: Sun, 08 Jul 2018 06:58 PM (IST)Updated: Sun, 08 Jul 2018 06:58 PM (IST)
उचित दाम न मिलने से बंदी की कगार पर पहुंची राइस मिलें
उचित दाम न मिलने से बंदी की कगार पर पहुंची राइस मिलें

जागरण संवाददाता, सितारगंज : उचित मूल्य न मिलने से क्षेत्र की राइस मिलें बंदी की कगार पर पहुंच गई है। कई मिलें बंद भी हो चुकी है। इस वजह से जहां मिल स्वामियों को घाटा हो रहा है वही मंडी शुल्क का राजस्व भी प्रभावित हो गया है। इन्हीं बातों को लेकर राइस मिल एसोसिएशन ने विधायक का घेराव किया। जहां उन्होंने पंजाब, हरियाणा की तर्ज पर आढ़तियों के माध्यम से सरकारी धान खरीदने पर जोर दिया।

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राइस मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि चावल उद्योग बंदी की कगार पर पहुंच गए है। जिस वजह से काश्तकारों की संपन्नता पर भी फर्क पड़ रहा है। इन उद्योगों से लगभग क्षेत्र के पचास हजार परिवार जुड़े हुए है। मंदी के कारण कई राइस मिल बंद हो गई। विद्युत कनेक्शन भी कई मिलों के कटवा दिए गए है। जिस वजह से राइस मिलर्स के साथ ही सरकार के मंडी शुल्क में गिरावट आई है। उन्होंने आटे की तरह चावल को भी कृषि उत्पाद की सूची से बाहर रखने की मांग की। उन्होंने विधायक से उनकी समस्याएं मुख्यमंत्री के समक्ष रखने की मांग की। इस मौके पर नरेश कंसल, मदनलाल अग्रवाल, सुरेश सिघंल, राजेंद्र खुराना, श्याम किशन, विनोद अग्रवाल, गोपाल गर्ग, टिल्लू अग्रवाल आदि मौजूद थे।


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