सलाखों में कैद मगर आजाद थे अटल के इरादे
रजत श्रीवास्तव, रुद्रपुर नैनी जेल में हम अटल बिहारी के साथ कैद थे पर उनके गीतों ने हौसला
रजत श्रीवास्तव, रुद्रपुर
नैनी जेल में हम अटल बिहारी के साथ कैद थे पर उनके गीतों ने हौसला टूटने नहीं दिया। जेल की वे सलाखें और उनके बीच अटल का वह विश्वास गजब का था। जब-जब कार्यकर्ता हताश होते, वह अपनी कविता की पंक्तियां गुनगुनाकर सभी में जोश भर देते थे। लगा ही नहीं कि किसी जेल में कैद हैं। आठ दिन में कार्यकर्ताओं को राजनीति का ककहरा और ¨जदगी का फलसफा सिखा दिया था। भाजपा को रुद्रपुर में स्थापित करने वाले पूर्व पालिकाध्यक्ष सुभाष चतुर्वेदी ने जेल में उनके साथ बिताए लम्हों को साझा किया।
1954 में जनसंघ के जमने के बाद सुभाष चतुर्वेदी की मुलाकात अटल बिहारी वाजपेयी से हुई थी। 83 वर्ष के सुभाष बताते हैं कि उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी जनसंघ की रीढ़ थे। वरिष्ठ भाजपा नेता सुभाष चतुर्वेदी ने कहा कि वैसे तो हर बार कोई न कोई अभियान चलाकर कार्यकर्ता प्रदर्शन करते थे, लेकिन 1974 का वह अभियान आज भी याद है। लखनऊ में जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति अभियान चलाया था। चूंकि अटल बिहारी इसका नेतृत्व कर रहे थे तो जेल अधिकारी भी सक्रिय हो गए। कहा कि इस सत्याग्रह अभियान में काफी हंगामा हुआ था। उस वक्त तीन लोगों की गिरफ्तारी हुई थी, जिनमें रमेश शुक्ला, चमन लाल और वह खुद थे। अटल जी के साथ कार्यकर्ताओं को जेल अधिकारियों ने चारों तरफ से घेर कर बस में बैठा लिया था और सभी को गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तारी के बाद आठ दिन के लिए नैनी जेल इलाहाबाद में उनको नजदीक से जानने का मौका मिला। उनके दृढ़ संकल्प और मजबूत इरादों ने जेल की सलाखों में भी जोश भर दिया था। कहा कि वह अक्सर भोजन करने के बाद एक गीत जयप्रकाश का बिगुल बजा..देखे सत्ता कितनी बौखलाई है, सुनाकर कार्यकर्ताओं में जोश भर देते थे। जेल के अंदर कैद थे पर अटल के इरादे काफी आजाद थे। जेल के अधिकारी भी उनके तेज के आगे नहीं टिक पाते थे। किस्सा दोहराया कि एक बार जेल में भोजन नहीं बनाया गया था तो कार्यकर्ता जेल अधिकारी से तल्खी से पेश आए थे। जिस पर जेल अधिकारी ने अलार्म बजा दिया और सभी अधिकारी डंडे लेकर आ गए। अटल बिहारी के आते ही सभी शांत हो गए थे। कहा कि वह एक सफल पत्रकार और कुशल राजनीतिज्ञ थे। उनका पसंदीदा गीत तन में ¨हदू, मन में ¨हदू ¨हदू जीवन मेरा है था जिसको वह हर रोज गुनगुनाते थे। कहा कि अटल बिहारी में चुबंकीय आकर्षण था। हर कोई उनकी ओर अनायास ही ¨खचा चला आता था। कहा कि उनमें देश के प्रति समर्पण गजब का था वह सच्चे देशभक्त थे।
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मेरा नाम वर्ग पहेली है
रुद्रपुर : सुभाष चतुर्वेदी बताते हैं कि एक बार उनको शरारत सूझी तो बोल पड़े कि अटल जी आपका नाम अटल भी है और बिहारी भी। इस पर वह बोले भाई यह एक वर्ग पहेली है। जिसको तुम बूझते रहो।
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बोले जवाहर, मेरा उत्तराधिकारी है अटल
रुद्रपुर : दिल्ली के एक कार्यक्रम में रूस के तत्कालीन राष्ट्रपति खुर्शीफ और महामंत्री खुगलानिव आए थे तो प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से साक्षात्कार करने के लिए कहा। इस पर पहले उन्होंने अटल बिहारी की ओर इशारा किया और फिर बोले मेरे बाद यही अगला उत्तराधिकारी है।
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आइएफएस व राजदूतों ने छोड़ दी थी नौकरी
रुद्रपुर : सुभाष चतुर्वेदी बताते हैं कि अटल बिहारी का व्यक्तित्व इतना चुंबकीय था कि कई आइएफएस अफसर और राजदूत भी नौकरी छोड़कर जनसंघ से जुड़ गए थे। उनके पास बैठना और उनके किस्से सुनना सभी को बेहद पसंद था।