दीपावली में इस बार दीये बिकने की आस में कुम्हार
सितारगंज में दीपावली नजदीक आते ही कुम्हारों के चाक घूमने लगे हैं। इस बार दीये बिक जाने की उम्मीद लगाए हुए हैं।
जासं, सितारगंज : दीपावली नजदीक आते ही कुम्हारों के चाक घूमने लगे हैं। बड़ी संख्या में मिट्टी के दिए बनाने का कार्य कुम्हारों ने शुरू कर दिया है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से त्योहारों पर स्थानीय उत्पादों की खरीदारी किए जाने के आह्वान से इस बार इन कुम्हारों में ज्यादा बिक्री होने की उम्मीद जगी है।
दीपावली के नजदीक आते हैं शहर के पास स्थित सरकड़ा गांव में मिट्टी के दीपक व आदि चीजों को बनाने का कार्य शुरू हो गया है। गांव में स्थित कुम्हार नन्हे लाल प्रजापति बताते हैं कि आधुनिकता के दौर में दिन प्रतिदिन शहरों से मिट्टी के दीयों की मांग घटती जा रही है। अब लोग सिर्फ शुभ काम करने के लिए ही नाम मात्र खरीदते हैं। उन्होंने कहा कि मिट्टी के बर्तनों पर लागत तो बढ़ रही है, लेकिन आमदनी घटती जा रही है। जिससे पुश्तैनी कारोबार अब सिमटता जा रहा है। सरकार की ओर से भी किसी भी तरह का आर्थिक मदद व प्रोत्साहन नहीं मिलने से मिट्टी के कारोबार से जुड़े लोग आर्थिक परेशानी से जूझ रहे हैं। नतीजा यह है कि परंपरागत कारोबार को छोड़ कुम्हार अन्य कार्यों की ओर रुख करने को मजबूर हैं। इस बार प्रधानमंत्री की ओर से त्योहारों पर स्थानीय उत्पादों की खरीदारी करने और उनके इस्तेमाल किए जाने को लेकर किए गए आह्वान को देखते कुम्हार उत्साहित है। उम्मीद है कि इस बार की दीपावली पर दीयों की मांग बढ़ेगी। इसी उम्मीद से रोशनी बिखेरने के लिए कुम्हारों ने तेजी से काम करना शुरू कर दिया है।
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पैसों के बदले अनाज ले करते हैं गुजारा
ग्राम सरकड़ा निवासी कुम्हार नन्हे लाल प्रजापति बताते हैं कि शहर की अपेक्षा गांव में दीये की अधिक मांग से वह अपना अधिकांश माल गांव में ही बेचते हैं। गांव में दीयों के बदले लोग उन्हें अनाज देते हैं, जिससे उनके परिवार का गुजारा होता है।