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अब चार गुना अधिक बैकअप देगी मोबाइल की बैटरी, वैज्ञानिकों ने हासिल की सफलता

शीघ्र ही आपको जल्द डिस्चार्ज होने वाली मोबाइल एवं लैपटाप की बैटरी से छुटकारा मिल जाएगा। वैज्ञानिकों ने उच्च ऊर्जा संरक्षित बैटरी के इलेक्ट्रॉड विकसित करने में सफलता हासिल की है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 06:11 PM (IST)Updated: Thu, 27 Sep 2018 08:09 AM (IST)
अब चार गुना अधिक बैकअप देगी मोबाइल की बैटरी, वैज्ञानिकों ने हासिल की सफलता
अब चार गुना अधिक बैकअप देगी मोबाइल की बैटरी, वैज्ञानिकों ने हासिल की सफलता

पंतनगर, उधमसिंह नगर [सुरेंद्र कुमार वर्मा]: पंत विश्‍वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने सस्ती एवं उच्च ऊर्जा संरक्षित बैटरी के इलेक्ट्रॉड विकसित करने में सफलता हासिल की है।

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शीघ्र ही आपको जल्द डिस्चार्ज हो जाने वाली मोबाइल एवं लैपटाप की बैटरी से छुटकारा मिल जाएगा। इसके लिए पंत विवि के रसायन विज्ञान विभाग प्रमुख के निर्देशन में शोधार्थियों ने सात वर्षों के अथक प्रयास में सस्ती एवं उच्च ऊर्जा संरक्षित बैटरी के ग्रेफाइट युक्त इलेक्ट्रोडों के निर्माण की विधि विकसित करने में सफलता हासिल की है। इन इलेक्ट्रॉडों में ऊर्जा संरक्षित करने की क्षमता वर्तमान में प्रचलित बैटरियों के मुकाबले चार गुणा तक अधिक होगी। अब तक इस शोध पर 12 शोध पत्र यहां से प्रकाशित हो चुके हैं, तथा आधुनिक रूप में लाकर इसका पेटेंट कराने की भी तैयारी है।

जनसंख्या के निरंतर बढ़ने के कारण ऊर्जा के उत्पादन एवं संरक्षण में लगातार गिरावट आती जा रही है, जिससे ऊर्जा के मूलभूत स्रोत पेट्रोलियम पदार्थ, कोयला इत्यादि के खनन एवं निष्कर्षण दुर्लभ होने के साथ ही इनके दामों में भी बेतहाशा वृद्धि होती जा रही है, जिससे सामान्य जनजीवन एवं औद्योगिक प्रगति में व्यवधान उत्पन्न हुआ है, साथ ही घरेलू मोबाइल एवं लैपटाप की बैटरियों के चार्ज की समस्या बनी रहती है।

इस विधि में प्रयोग होने वाले पदार्थ सामान्य बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं। जिससे दो हजार फैरेट प्रति ग्राम तक की ऊर्जा का उत्पादन इन शोधर्थियों ने कर दिखाया है। भविष्य में इस प्रकार के इलेक्ट्रॉड 'लीथियम आयन' बैटरियों की दक्षता बढ़ाने में सहायक होंगे, साथ ही घरेलू उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा।

सात वर्षों के प्रयास में मिली सफलता

रसायन विज्ञान विभाग प्रमुख डॉ. एमजीएच जैदी ने बताया कि इलेक्ट्रॉड बनाने की विधि अत्यंत सरल है। इस विधि में स्टील की प्लेट को विशिष्ट आकार के टुकड़े में काटकर उसकी सतह को रेगमाल से घिस कर रूखा बना देते हैं। इस टुकड़े पर ग्रेफाइट, चलायमान बहुलक, विशिष्ट प्रकार के लवण एवं अल्प मात्रा में अचलायमान बहुलक के सबमिश्रणों का लेपन कर देते हैं। लेपन की प्रक्रिया में साधारण तापक्रम पर 6-7 घंटे लगते हैं। तत्पश्चात हल्के गर्म तापक्रम पर सुखाने के बाद उनका परीक्षण किया जाता है। संबंधित परीक्षण हेतु विभिन्न प्रकार की अस्थाई बैटरियों को विकसित किया जाता है।

ऊर्जा संरक्षण में उपयोगी 

प्रो. एमजीएच जैदी (हेड ऑफ केमेस्ट्री डिपार्टमेंट, पंत विश्वविद्यालय) का कहना है कि ग्रेफाइट युक्त इलेक्ट्रोड के निर्मण में उपयोगी रासायनिक पदार्थ आसानी से बाजार में उपलब्ध हैं। तकनीक द्वारा विकसित इलेक्ट्रोड अम्लीय, क्षारीय एवं उदासीन माध्यमों में वैद्युत रासायनिक ऊर्जा का उत्कृष्ट संरक्षण करते हैं। भविष्य में इस प्रकार के इलेक्ट्रोड शुष्क बैटरियो की दक्षता बढ़ाने में सहायक होंगे।

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