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धन सरकारी, फिर भी बच्चों को देने में लापरवाही

रुद्रपुर में शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली इन दिनों सवालों के घेरे में है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 04:08 AM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 04:08 AM (IST)
धन सरकारी, फिर भी बच्चों को देने में लापरवाही
धन सरकारी, फिर भी बच्चों को देने में लापरवाही

जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली इन दिनों सवालों के घेरे में है। चालू शैक्षणिक सत्र बीतने को है, लेकिन अब तक छात्रों के खाते में पुस्तक की राशि नहीं भेजी गई है। चालू वित्तीय वर्ष समाप्ति की ओर है। समय से अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया तो 72 लाख रुपये बच्चों तक पहुंचने के बजाय सरकारी खजाने में वापस चला जाएगा। वहीं प्रारंभिक शिक्षा के 30 फीसद बच्चों का खाता नहीं खुल सका है, ऐसे में यह राशि भी डंप है।

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शासन से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए एकमुश्त पुस्तकीय सहायता राशि डीबीटी के माध्यम से दी जाती है। जिले में कुल 128 इंटर कालेज संचालित हैं। इनमें अनुसूचित जाति के 8545 एवं अनुसूचित जनजाति के 2072 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। शासन से कक्षावार पुस्तक राशि 600 से एक हजार रुपये तक दिया जाता है। फरवरी माह के अंतिम सप्ताह में 10617 विद्यार्थियों के लिए पुस्तकीय सहायता राशि वर्ष, 2020-21 के लिए 72 लाख 52 हजार रुपये का बजट मिला है। विभाग के पास चालू वित्तीय वर्ष के सिर्फ 28 दिन हैं। जिले से सभी खंडों में राशि भेजी जा चुकी है, लेकिन छात्रों के खाते में भेजने की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है। इधर मई-जून में कक्षा छह से आठ तक के विद्यार्थियों के लिए पुस्तक का बजट प्राप्त हुआ था। जिला परियोजना की ओर से सभी ब्लाकों को राशि भेज दी गई, लेकिन इसमें भी करीब 30 फीसद छात्रों के खाते में राशि नहीं भेजी जा सकी है। इसके अलावा खाद्य सुरक्षा भत्ता, गणवेश की राशि भी इन छात्रों को डीबीटी नहीं की जा सकी है।

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बैंक प्रबंधकों संग बैठक करने के लिए निर्देश

लाभान्वित होने वाले छात्रों के खाते में डीबीटी न होने की समस्या को देखते हुए राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा आर मीनाक्षी सुंदरम ने जिलाधिकारी को बैंक प्रबंधकों संग बैठक कर खाते खोलने के लिए निर्देश देने को कहा है। पत्र में कहा गया है कि बैंक की ओर से अभिभावकों एवं छात्रों को खाता खोलने के लिए पेन कार्ड एवं अन्य दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, जो कि उनके पास नहीं है। ऐसे में छात्रों के खाते नहीं खुल पा रहे हैं।

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सीईओ ने मांगी आख्या

राज्य परियोजना निदेशक शिक्षा का पत्र प्राप्त होते ही विभाग में हड़कंप मच गया है। मुख्य शिक्षाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को पुस्तकीय राशि छात्रों के खाते में भेजेने से संबंधित आख्या दो दिन में उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।

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करीब 20 फीसद छात्रों के खाते नहीं खुले हैं। खाते खुलवाए जा रहे हैं। शेष राशि समय पर न भेजने पर वह अगले वित्तीय वर्ष के ओपनिग बैलेंस में चला जाएगा। कोशिश है कि राशि जल्द खातों में भेज दी जाए।

-अशोक कुमार सिंह, जिला शिक्षाधिकारी, बेसिक, यूएस नगर

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कई छात्रों के खाते न खुलने से डीबीअी नहीं हो सकी है। इसके अलावा माध्यमिक स्कूल के एससी एसटी छात्रों के लिए फरवरी अंतिम सप्ताह में बजट प्राप्त हुआ है। जिसे सभी खंड शिक्षाधिकारियों को भेजा गया है, जहां से छात्रों के खाते में भेजने की कार्रवाई चल रही है।

-रमेश चंद्र आर्य, मुख्य शिक्षा अधिकारी, यूएस नगर


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