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भारत व नेपाल के बीच नो मैंस लैंड पर भी हो गया अतिक्रमण

भारत नेपाल की सीमा के बीच में स्थित जमीन पर कई लोगों ने कब्जा कर लिया है। वर्षों से दोनों देशों की शिथिलता के कारण पनपा यह अतिक्रमण भविष्य में बड़े विवाद की जड़ बन सकता है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 16 Jul 2018 12:52 PM (IST)Updated: Tue, 17 Jul 2018 05:31 PM (IST)
भारत व नेपाल के बीच नो मैंस लैंड पर भी हो गया अतिक्रमण
भारत व नेपाल के बीच नो मैंस लैंड पर भी हो गया अतिक्रमण

ऊधमसिंह नगर, [राजू मिताड़ी]: भारत व नेपाल के बीच सरहद तय करने वाले निशान (पिलर) वक्त के साथ मिटते जा रहे हैं। दोनों देशों की सीमा के बीच में स्थित जमीन (नो मैंस लैंड) पर कई लोगों ने कब्जा कर लिया है। वर्षों से दोनों देशों की शिथिलता के कारण पनपा यह अतिक्रमण भविष्य में बड़े विवाद की जड़ बन सकता है। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी दोनों देशों के जिम्मेदार अधिकारियों के पास न हो। असल बात यह है कि रोटी-बेटी के संबंधों के नाम पर इस गंभीर मुद्दे पर जिम्मेदार कभी गंभीर नहीं हो सके।

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समय-समय पर दोनों देशों के अधिकारियों के बीच बैठक तो होती रहीं, लेकिन एक्शन कहीं नजर नहीं आ सका। नतीजा यह रहा कि अतिक्रमण पैर पसारता रहा। भारत की ओर से 59 तो नेपाल की ओर से 500 से अधिक लोगों ने नो मैंस लैंड पर अतिक्रमण कर कच्चे-पक्के मकान बना लिए हैं और यहां खेती लहलहा रही है। भारत-नेपाल की अंतरराष्ट्रीय संवदेनशील सीमा के निर्धारण के लिए कुछ पिलर कई वर्ष से गायब हैं। जिससे सीमा का ठीक-ठीक निर्धारण भी नहीं हो पा रहा है।

दोनों देशों की सीमा पूरी तरह खुली हुई है और किसी प्रकार की हदबंदी (तार-बाड़) भी नहीं की गई है। सीमा निर्धारण के लिए उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जिले के 15 किमी एरिया में नो मैंस लैंड पर 24 पिलर लगाए हैं। यही सीमा निर्धारित करने का एक मात्र माध्यम है। जिसमें पांच मेन पिलर हैं। जबकि 19 सब-पिलर लगाए गए थे, लेकिन इनमें से छह सब-पिलर गायब हैं और दो क्षतिग्रस्त। जिससे नो मैंस लैंड की स्थिति भी स्पष्टï नहीं हो पा रही है। यही वजह है कि खुली सीमा पर अतिक्रमण की जड़े गहरी होती जा रही हैं।

बैठक में बनी रणनीति, अमल अब तक नहीं

भारत व नेपाल के बीच एक माह पहले नेपाल के धनगढ़ी में बैठक हुई थी। जिसमें उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर व चंपावत जिले के साथ ही उत्तर प्रदेश के पुलिस, प्रशासनिक, खुफिया एजेंसी, वन एवं सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी भी पहुंचे थे। इसमें गायब व क्षतिग्रस्त पिलरों को अपनी जगह फिर से खड़ा करने पर मंथन हुआ था। यह भी तय हुआ कि भारत सम व नेपाल विषय संख्या के पिलर स्थापित करेगा। इस पर अभी अमल शुरू नहीं हो सका है।

अतिक्रमणकारियों का चिह्नीकरण

भारत-नेपाल की नो मैंस लैंड पर अतिक्रमणकारियों का चिह्नीकरण करीब आठ वर्ष पूर्व किया गया था। जिसमें पाया गया कि पिलर नंबर 16-17 पर 39 व पिलर 15-16 पर 20 अतिक्रमणकारी बस गए हैं। वर्तमान में इनकी संख्या काफी बढ़ गई है। जबकि नेपाल की ओर से काफी तेजी से अतिक्रमण जारी है। दोनों तरफ घर बनने केअलावा बड़ी संख्या में गन्ने, मक्के व धान खेती की जा रही है।

जगबूढ़ा नदी व बढ़ती आबादी से गायब हुए पिलर

सीमा स्थित बहने वाली जगबूढ़ा नदी के तेज प्रवाह से कुछ पिलर बह गए या रेत में जमींदोज हो गए तो कुछ नेपाल की ओर से तेजी से बढ़ते अतिक्रमण की वजह से गायब हो गए हैं। यह बात दोनों देशों के अधिकारियों के बीच सामने भी आ चुकी है। 

डीएम (ऊधमसिंह नगर) डॉ. नीरज खैरवाल का कहना है कि सीमाओं को लेकर इंडो-नेपाल के संयुक्त सर्वे को लेकर बैठक इसी माह रखी गई थी। इसमें सर्वे अधिकारियों के न पहुंचने से अब नए सिरे से बैठक होनी है। दो देशों का मामला होने के चलते भारत सरकार के निर्देश के बाद ही आगे की कार्यवाही की जाएगी। 

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