गुम फाइलों के बीच छह साल बाद मजिस्ट्रेटी जांच
जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : 31वीं वाहिनी पीएसी में विद्रोह की मजिस्ट्रेटी जांच छह साल बाद शु
जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : 31वीं वाहिनी पीएसी में विद्रोह की मजिस्ट्रेटी जांच छह साल बाद शुरू हो गई है। इस मामले की फाइलें गायब हैं तो ऐसे में एडीएम वित्त ने पुन: विज्ञप्ति निकालकर घटना से संबंधित साक्ष्य और गवाह बयान दर्ज करने को बुलाए हैं। 22 जून तक कोई भी व्यक्ति एडीएम के समक्ष अपने बयान दर्ज करा सकता है।
बता दें कि वर्ष 2012 में 31वीं वाहिनी पीएसी में हुए विद्रोह की फाइलें एडीएम वित्त प्रताप ¨सह शाह के दफ्तर से गायब हो गई। साक्ष्यों के अभाव में ही इस प्रकरण की मजिस्ट्रेटी जांच पिछले छह साल से लंबित है। अब मामला सुर्खियों में आने के साथ ही दोबारा साक्ष्य संकलन किया जा रहा है। यानी जांच की प्रक्रिया नए सिरे से शुरू की गई है। आरोपी जवानों और सूबेदारों के बयान इसी कड़ी में दोबारा लिए जा रहे हैं।
मामले में सूबेदार गोपाल बिष्ट और कैलाश शर्मा के बयान भी दर्ज किए गए। फाइलें कहां गईं, इसका किसी को पता नहीं। इन्हें संभालने की जिम्मेदारी एडीएम के स्टेनो की है। उस वक्त देवेंद्र ¨सह नेगी स्टेनो थे, जिन्होंने पूछताछ में फाइलें तत्कालीन एडीएम निधि यादव को सौंपने की बात कही है। दैनिक जागरण में इस खबर के सुर्खियां बनने के बाद से हड़कंप मचा हुआ है।
तत्कालीन डीएम बीके संत ने मामले में एडीएम वित्त निधि यादव को मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए थे, साथ ही दोनों सूबेदारों गोपाल ¨सह बिष्ट और कैलाश शर्मा को निलंबित कर दिया था। 15 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट डीएम को सौंपनी थी पर छह साल बाद भी यह पूरी नहीं हो सकी है। वजह, इस प्रकरण की फाइलें ही गायब हैं।
एडीएम प्रताप ¨सह शाह ने जनता से अपेक्षा की है कि इस संबंध में किसी व्यक्ति को कुछ कहना हो या साक्ष्य/गवाह प्रस्तुत करने हों अथवा कोई जानकारी प्रस्तुत करनी हो, तो कलक्ट्रेट स्थित अपर जिलाधिकारी (वित्त/राजस्व) कार्यालय में 22 जून तक किसी भी कार्य दिवस पर उपस्थित होकर जानकारी दे सकते हैं। उन्होंने बताया कि 22 जून के बाद प्राप्त किसी भी सूचना पर विचार करना संभव नहीं होगा।