कुमाऊंनी भाषा को पाठ्यक्रम में किया जाए शामिल
कुमाऊंनी भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की गई है। उत्तराखंड राज्य आंदोलन कल्याण समिति ने सीएम को ज्ञापन भेजा है।
संवाद सहयोगी, खटीमा: कुमाऊंनी भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल न करने की जानकारी से उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी कल्याण समिति भड़क उठी। समिति के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर पहली कक्षा से पांचवीं कक्षा तक कुमाऊंनी भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की। जनपद के नौनिहालों को इससे वंचित किए जाने पर उन्होंने आक्रोश जताया
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी कल्याण समिति से जुड़े लोग शुक्रवार को तहसील पहुंचे। जहां उन्होंने एसडीएम निर्मला बिष्ट के माध्यम से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ज्ञापन भेजा। उन्होंने कहा कि पूर्व में प्रदेश सरकार ने कुमाऊंनी व गढ़वाली भाषा को पांचवी कक्षा तक के पाठ्यक्रम में शामिल करने का आदेश जारी किया था लेकिन समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला है कि जिले में कुमाऊंनी भाषा के पाठ्यक्रम को शामिल नहीं किया जा रहा है। समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि राज्य आंदोलन की चिंगारी खटीमा से ही निकली थी। जिसमें यहां के सात लोगों ने शहादत भी दी थी। उस दौरान किसी ने नहीं सोचा था कि जिले को मैदानी भाग होने के कारण उपेक्षित होना पड़ेगा। ऊधमसिंह नगर जिला भी कुमाऊं मंडल में ही है। आज के नौनिहाल कल अपनी शिक्षा पूर्ण कर राज्य के सभी जिलों में सेवाएं देंगे। तब उनका यह क्षेत्रीय ज्ञान राज्य के विकास में मील का पत्थर साबित होगा। इसलिए जिले में भी कुमाऊंनी भाषा को कक्षा पांचवी तक के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
इस मौके पर एडवोकेट एमसी भट्ट, विक्रम सिंह धामी, टीएस जेठी, कैलाश चंद्र, हरीश सिंह, विनोद गहतोड़ी, हरीश चंद्र ओली, छत्तर सिंह, राजू सिंह आदि मौजूद थे।