केलाखेड़ा के पीएचसी में वर्षो से नहीं है चिकित्सक
केलाखेड़ा नगर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खुद ही उपचार की राह देख रहा है।
संसू, केलाखेड़ा : नगर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खुद ही उपचार की राह देख रहा है। वर्षों से चिकित्साधिकारी के पद रिक्त होने पर कोरोना काल में भी ग्रहण लगा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में फार्मेसिस्ट भी नहीं है। स्वास्थ्य केंद्र के फार्मेसिस्ट के करीब दो वर्ष से निलंबित चलने के कारण वैकल्पिक व्यवस्था पर हरिपुरा हरसान का फार्मेसिस्ट सप्ताह में तीन दिन ही अपनी सेवा यहां दे रहे हैं।
बताते चलें कि तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार के दिवंगत वित्त, उद्योग, गन्ना विकास मंत्री नारायण दत्त तिवारी ने दो अक्टूबर 1975 को शिलान्यास कर क्षेत्र की जनता को स्वास्थ्य सेवाओं की सौगात दी थी। तत्कालीन सरकार से चिकित्सा अधिकारी के प्रथम व द्वितीय दो पद स्वीकृत करा क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं को नया आयाम मिला था। बदलते वक्त के साथ सरकार बदली नौ नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर नया प्रदेश उत्तराखंड अस्तित्व में आया। लेकिन केलाखेड़ा की जनता को नए प्रदेश से नई उम्मीद धूमिल होती चली गई। कोरोना काल में जहां वर्तमान सरकार चिकित्सा सेवाओं के लिए बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीं केलाखेड़ा में चिकित्सक और फार्मेसिस्ट की तैनाती तक नहीं हो सकी है। करीब पांच वर्ष पूर्व चिकित्सा प्रभारी डाक्टर विभूति भूषण के स्थानांतरण के बाद क्षेत्र की जनता एक अदद डाक्टर की सेवाओं के लिए तरस गई। जबकि नगर पंचायत की कुल आबादी 20 हजार के करीब है। इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत ग्राम सरकडी, रम्पुराकाजी, रामनगर, लंकुरा, गणेशपुर, टांडा आजम, भव्वानगला, गुमसानी आदि ग्राम सभाएं व 20 से 25 अन्य गांव भी आते हैं। नगर पंचायत के साथ मिलकर इनकी जनसंख्या करीब 50,000 हो जाती है। एक महिला चिकित्सक की तैनाती सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह गई है।
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आयुष विग के जिम्मे चल रहा अस्पताल
आयुर्वेद व होम्योपैथ के चिकित्सक डा. मुन्नी नागर और डा. गौरव सिन्हा यहां पहुंच रहे मरीजों को देख रहे हैं। जबकि एमबीबीएस चिकित्सक का पद बीते पांच साल से रिक्त है। वार्ड ब्वाय की भी तैनाती भी सिर्फ अभिलेखों में है।