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सैन्य सम्मान के साथ हवलदार को दी अंतिम विदाई

जागरण संवाददाता, काशीपुर : हादसे में दिवंगत हवलदार जसपाल ¨सह को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 11:35 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 11:35 PM (IST)
सैन्य सम्मान के साथ हवलदार को दी अंतिम विदाई
सैन्य सम्मान के साथ हवलदार को दी अंतिम विदाई

जागरण संवाददाता, काशीपुर : हादसे में दिवंगत हवलदार जसपाल ¨सह को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। बेटे द्वारा चिता को मुखाग्नि दी गई। इस दौरान श्मशान घाट में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।

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मूलरूप से ग्राम मझेड़ा, धूमाकोट, पौड़ी गढ़वाल निवासी जसपाल ¨सह मणिपुर इंफाल में 27 असम राइफल्स में हवलदार के पद पर तैनात थे। 25 मार्च 1998 को वह शिलांग के दीमापुर से भर्ती हुए थे। 41 वर्षीय जसपाल 19 जनवरी को ड्यूटी के दौरान दोपहर करीब साढ़े तीन बजे कंस्ट्रक्शन के काम के चलते धातु की सीढ़ी को लेकर जा रहे थे। इस दौरान सीढ़ी हाई टेंशन लाइन से टच हो गई जिस कारण उनकी मौत हो गई। सोमवार सुबह करीब साढ़े पांच बजे जसपाल के पार्थिव शरीर को हवलदार शिवराज ¨सह काशीपुर स्थित पशुपति विहार, जसपुर-खुर्द स्थित के आवास पर पहुंचे। जिसके बाद विधि-विधान के साथ उनका पाíथव शरीर तिरंगे में लपेटकर सैन्य वाहन से गंगे बाबा रोड स्थित श्मशान घाट लाया गया। जहां पर हेमपुर डिपो से नायब सूबेदार एसके शर्मा के नेतृत्व में गार्द की एक टुकड़ी पहुंची। इस दौरान शहीद के पाíथव शरीर को सैन्य सम्मान के साथ मुखाग्नि दी गई। बेटा आकाश ने जैसे ही चिता को मुखाग्नि दी। सभी की आंखें नम हो गईं। इस मौके पर आइटीआइ थानाध्यक्ष कुलदीप अधिकारी भी सैनिक को अंतिम विदाई देने पहुंचे। हेमपुर डिपो से पहुंची सेना की टुकड़ी ने पुष्प चक्र अíपत कर शहीद को सलामी दी। शहीद के तीन बेटियां और एक बेटा है। वह भाइयों में बड़े थे। जबकि तीन बहनें भी हैं। सभी की शादी हो चुकी है। मृतक जवान का छोटा भाई शहीद का छोटा भाई हर्षपाल ¨सह भी जसपाल के साथ मणिपुर इंफाल में तैनात हैं। पिता राजेंद्र ¨सह गढ़वाल राइफल्स से सेवानिवृत्त हुए थे। =========== छुट्टी स्वीकृति के बाद भी सलामत घर नहीं पहुंच पाया सैनिक

छुट्टी स्वीकृति के बाद भी जसपाल को तिरंगे लिपटकर घर लौटना पड़ा। वह मई 2018 में दो माह की छुट्टी आए थे। छह माह बाद उन्होंने छुट्टी के लिए अर्जी लगाई थी। जो स्वीकृत भी हो चुकी थी, लेकिन कार्रवाई में देरी की वजह से वह कैंट में ही ड्यूटी पर तैनात थे।


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