दलहन बीज गोदाम व विधायन संयंत्र का उद्घाटन
पंतनगर में खाद्यान्न के स्तर पर आत्मनिर्भर देश में शाकाहारी जनसंख्या अधिक होने के कारण दलहन पर आज भी निर्भरता दूसरे देशों पर है।
जासं, पंतनगर : खाद्यान्न के स्तर पर आत्मनिर्भर देश में शाकाहारी जनसंख्या अधिक होने के कारण दलहन पर आज भी निर्भरता दूसरे देशों पर है। दलहन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए भारत सरकार देश में दलहन सीड हब की परियोजना चला रही है। पंत विवि के प्रजनक बीज उत्पादन केंद्र पर नवनिर्मित बीज विधायन संयंत्र व बीज गोदाम का कुलपति डा. तेज प्रताप ने शुभारंभ किया।
कुलपति ने प्रजनक बीज उत्पादन केंद्र के प्रगति व साथर्कता को दर्शाते हुए इसके योगदान व महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि विवि में बीज निदेशालय की स्थापना करने की सहमति दी गई। वर्तमान में आय का स्त्रोत बढ़ाने में इसकी महती आवश्यकता है। बीज उत्पादन व भंडारण को सशक्तीकरण कर इसे और अधिक लाभकारी बनाया जा सकता है। कुलसचिव डा. एके शुक्ला ने कृषि में उन्नत बीजों व प्रजातियों के महत्व को दर्शाते हुए कृषि उत्पादन में इसकी महती भूमिका को इंगित किया। निदेशक अनुसंधान केंद्र डा. एएस नैन ने कहा कि केंद्र के बीज देश के विभिन्न राज्यों के साथ विदेशों में भी अपनी उपयोगिता स्थापित की है। विकसित अरहर की प्रजाति पंत अरहर-6, पंत अरहर-291, मूंग की प्रजाति पंत मूंग-5, 6, 7, 8 एवं 9, मंसूर की पंत मसूर-8 एवं 9 व मटर की प्रजाति पंत मटर- 243, 250 व 155 की नवीन किस्में भी विकसित की गई हैं, जो देश के 15 से अधिक प्रदेशों में किसान पसंद कर रहे हैं। संयुक्त निदेशक डा. पीएस शुक्ल ने पावरप्वाइंट के माध्यम से केंद्र की प्रगति आख्या का प्रस्तुतीकरण किया। केंद्र ने पांच वर्षो में लगभग 23 करोड़ रुपये का बीज विक्रय किया है। केंद्र के सहायक निदेशक डा. अजय कुमार ने सभा का संचालन व धन्यवाद ज्ञापन किया। इस मौके पर प्रौद्योगिक महाविद्यालय की डीन डा. अलखनंदा अशोक, स्नातकोत्तर महाविद्यालय के डीन डा. केपी रावेकर, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डा. ब्रिजेश सिंह, संयुक्त निदेशक, मशरुम उत्पादन एवं प्रशिक्षण डा. केपीएस कुशवाहा, संयुक्त निदेशक मौजूद थे।