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ज्यादा पैदावार पर सरकार का पहरा

जीवन ¨सह सैनी, बाजपुर : उत्तराखंड के गन्ना किसानों की नवीन पेराई सत्र में मुसीबतें बढ़ने वाल

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 06:30 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 06:30 PM (IST)
ज्यादा पैदावार पर सरकार का पहरा
ज्यादा पैदावार पर सरकार का पहरा

जीवन ¨सह सैनी, बाजपुर : उत्तराखंड के गन्ना किसानों की नवीन पेराई सत्र में मुसीबतें बढ़ने वाली हैं। एमआरपी से सस्ता धान बेचने से परेशान किसान अभी घाटे से उभर भी नहीं पाए थे कि उत्तर-प्रदेश ने नई गन्ना नीति तैयार कर दी है। नीति के अनुसार अब तक बाजपुर, काशीपुर, गदरपुर का गन्ना खरीद रही राणा शुगर्स व त्रिवेणी चीनी मिल अपने स्तर से पर्ची जारी करने का अधिकार खो चुकी है। इसके चलते वे अब यह गन्ना नहीं खरीद पाएंगी।

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इतना ही नहीं उप्र के स्वार, बिलासपुर तहसील के 36 गांव हैं, जो वन विभाग की भूमि में पीढ़ी दर पीढ़ी हजार हेक्टेयर से भी अधिक के क्षेत्रफल पर गन्ना सहित सभी फसलों की खेती करते आए हैं। मालिकाना हक नहीं होने के कारण उनका गन्ना भी मिलें नहीं लेंगी। जिसके चलते लगभग 80 लाख ¨क्वटल गन्ने पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। वहीं उत्तराखंड में भी क्षमता से लगभग दो गुना गन्ना उत्पादन अधिक होने से आपूíत को लेकर किसान परेशान हैं। जनपद के अंदर 31 हजार 971 हेक्टेयर क्षेत्रफल में दो करोड़ 74 लाख 99 हजार ¨क्वटल गन्ने की अनुमानित पैदावार होने की बात गन्ना विभाग कह रहा है, जबकि चीनी मिलों द्वारा एक करोड़ 50 लाख की पेराई किए जाने के इंतजाम किए गए हैं। लगभग सवा करोड़ ¨क्वटल गन्ना उप्र की चीनी मिलों को आपूíत होता, लेकिन निज क्षेत्र की मिलों के पर कतरने हुए उतर-प्रदेश सरकार ने पर्ची जारी करने का अधिकार सहकारी समितियों को दे दिया है। नीति के अनुसार मिल क्षेत्र के किसान को मालिकाना हक वाली जमीन पर ही समिति पर्ची जारी कर पाएंगी, जबकि अनेक दशकों से वन विभाग की भूमि पर काबिज काश्त किसानों की जमीन पर उगे गन्ने का सर्वे सट्टा विभाग करता रहा है और इन मिलों की स्थापना में भी गन्ने के इस रकबे को जोड़ा गया है, लेकिन योगी सरकार द्वारा जारी गन्ने की नीति में ऐसी जमीनों के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है।

तीन चीनी मिलें ही करेंगी गन्ने की पेराई

बाजपुर : जनपद में पांच में से तीन चीनी मिलें ही पेराई सत्र में संचालित हो पाएंगी। सितारगंज को गत वर्ष और इससे पूर्व गदरपुर चीनी मिल को बंद किया जा चुका है जिसके चलते सितारगंज का गन्ना किच्छा व गदरपुर, काशीपुर का बाजपुर चीनी मिल को दिया गया है। इन मिलों की अधिकतम पेराई क्षमता लगभग डेढ़ करोड़ ¨क्वटल है और गन्ना विभाग के अनुसार लगभग दो करोड़ 75 लाख की पैदावार होगी। -नीति के अनुसार चीनी मिलें अपने अधिकृत गन्ना सेंटरों व क्षेत्रों से समिति पर्ची पर गन्ना खरीद सकती हैं। उप्र की चीनी मिलों का गदरपुर, बाजपुर, काशीपुर आदि में कोई भी अधिकृत सेंटर अथवा गन्ने का आरक्षित क्षेत्रफल नहीं है, ऐसे में उप्र की चीनी मिलें हमारे यहां का गन्ना नहीं ले पाएंगी। -धर्मवीर-सहायक गन्ना आयुक्त।) -किसान अपनी उपज बेचने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन सरकारों द्वारा सहकारिता क्षेत्र की चीनी मिलों में गन्ना आपूíत किए जाने हेतु किसानों को मजबूर किया जा रहा है, जबकि किसान को समय से गन्ने का भुगतान नहीं किया जाता है। अभी तक पेराई सत्र 17-18 का लगभग 100 करोड़ का भुगतान किसानों को नहीं मिल पाया है।

-कर्म ¨सह पड्डा-प्रदेशाध्यक्ष भाकियू।) -उत्तराखंड की सीमा के साथ लगते 36 गांवों के किसान आजादी के बाद से आकर यहां स्थापित हैं और लगभग सात दशकों से जंगल को आबाद कर खेती करते आ रहे हैं। यह पहला मौका है कि उनकी काबिज जमीनों पर उगे गन्ने को लेने के लिए चीनी मिलों द्वारा इन्कार किया गया है। उन्होंने कहा कि किसानों ने इस उम्मीद के साथ गन्ना बोया है, जिसका पूर्व से ही सट्टा सर्वे आदि का समस्त कार्य संपादित हो चुका है, ऐसे में गन्ने की आपूíत रोका जाना किसानों के हित में नहीं होगा। -हरेंद्र ¨सह ढिल्लन-प्रगतिशील किसान।)


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