खेतों में सड़ गए फूल, लाखों का नुकसान
बाजपुर में लॉकडाउन के चलते शादी समारोहों में रोक के चलते फूलों की खेती बर्बाद हो गई।
जीवन सिंह सैनी, बाजपुर : लॉकडाउन के चलते शादियों के सीजन में न शहनाई बजी और न ही फूलों की महक से विवाह के मंडप गुलजार हुए। ऐसे में फूलों की खेती करने वाले किसानों को लाखों का नुकसान हो गया। लॉकडाउन ने मुनाफे की उम्मीद पर पानी फेर दिया।
जरवेरा, लिलियन, कारनेशन सरीखे विशिष्ट प्रजाति के फूलों की खेती के लिए राज्य का मौसम अनुकूल है। पिछले पांच वर्षो से यहां फूलों की खेती का क्रेज बढ़ा है। सरकार की ओर से पॉलीहाउस के जरिए फूलों की खेती के लिए पचास से 80 प्रतिशत का अनुदान देने की कवायद रंग लाई है। अलबत्ता इस बार लॉकडाउन के चलते फूल उत्पादक मायूस हैं। 17 अप्रैल तक के आंकड़ों पर गौर करें तो अकेले ऊधमसिंह नगर में ही 75 लाख से अधिक का नुकसान हो चुका है। इस हिसाब से पूरे कुमाऊं मंडल में यह घाटा करोड़ों में है। ऊधमसिंह नगर में लगभग 50 तथा पूरे मंडल में 150 एकड़ में फूलों की खेती होती है। यहां से उत्पादित फूल पूरे राज्य की डिमांड तो पूरी करते ही हैं, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़, हरियाणा में होने वाले आयोजनों के अलावा अनेक राज्यों के लिए यहां से फूल ट्रेनों अथवा ट्रांसपोर्ट के माध्यम से जाते हैं। इस बार इन आयोजनों पर रोक के चलते फूलों की खपत नहीं हो पाई और उत्पाद पॉलीहाउस व खेतों में ही सड़ गई ।
ग्राम चनकपुर में फूलों का कारोबार करने बाले गुरबक्श सिंह ने बताया कि विवाह-शादियों का सीजन था। फूलों की अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद थी लेकिन लॉकडाउन ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। आलम यह है कि बाजार में जो फूल पहले 100 रुपये प्रति स्टिक तक बिक जाते थे, आज खरीदार ही नजर नहीं आते। पिछले वर्ष करीब 20 करोड़ का व्यापार मंडल में किया गया था। आर्थिक मदद की दरकार
बाजपुर : भाकियू के प्रदेशाध्यक्ष कर्म सिंह पड्डा ने बताया कि देशभर में लॉकडाउन के चलते फूलों की खेती पर बुरा प्रभाव पड़ा है। मंदिर बंद हैं, विवाह व अन्य सामाजिक समारोहों पर रोक लगी है। ऐसे में फूलों की पैदावार बर्बादी की कगार पर है। किसानों को फूल फेंकने पड़ रहे हैं। ऐसे में सरकार फूल उत्पादकों को आíथक सहायता उपलब्ध करवाए। मुनाफे की उम्मीद पर फिरा पानी
बाजपुर: बरहैनी चनकपुर की सुदेश कौर ने बताया की शादियों के सीजन के दौरान फूलों की विशेष मांग रहती है। इससे किसानों को अच्छा खासा मुनाफा होता है। इस बार भी फूलों की खेती करने वाले किसानों को उम्मीद थी कि अच्छी कमाई होगी, लेकिन लॉकडाउन में सब बर्बाद कर दिया। फूलों के पौधे उखाड़ने लगे किसान
बाजपुर: नया गांव कालाढूंगी के किसान बलवीर सिंह ने बताया कि वह तथा उनका परिवार लगभग दस हजार वर्गमीटर में फूलों की खेती कर रहा है। गुलाब के फूल 70 से 80 रुपये, ग्लाइड के 150 से 200 रुपये प्रति बंडल तथा व्हाइट फूल 80 से 100 रुपये प्रति किलो तक बिक जाता था। लॉकडाउन में डिमांड जीरो हो गई। हालात यह है कि कोई पांच रुपये किलो भी फूल लेने को तैयार नहीं है। ऐसे में फूल उखाड़कर फेंकने के अलावा और कोई चारा नहीं हैं। बड़े पौधों की जगह छोटे पौध लगाए जा रहे हैं। हालात नहीं सुधरे तो फूलों की खेती छोड़नी पड़ेगी।
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ऊधमसिंह नगर में पॉलीहाउस में 31 हजार 900 वर्ग मीटर में जरवेरा, लिलियन, गुलाब, कारनेशन आदि पुष्प खराब होने से 42 लाख 48 हजार तथा खुले में 7.05 हेक्टेयर जमीन में बोया गैदा, ग्लेडियोलस, कारनेशन आदि सड़ जाने से 33 लाख सात हजार रुपये का नुकसान हुआ है। इस तरह 17 अप्रैल तक 32 किसानों को 75 लाख रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। इसके बाद का सर्वे किया जा रहा है। जनपद में एक करोड़ के नुकसान का अनुमान है।
- आरके सिंह, उद्यान अधिकारी बाजपुर