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शासन की उदासीनता से किसान परेशान

केंद्र व राज्य सरकार द्वारा लाखों करोड़ के राहत पैकेज विभिन्न सेक्टरों में दिए जाने का एलान समय-समय पर किया गया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 07:19 AM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 07:19 AM (IST)
शासन की उदासीनता से किसान परेशान
शासन की उदासीनता से किसान परेशान

जीवन सिंह सैनी, बाजपुर

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केंद्र व राज्य सरकार द्वारा लाखों करोड़ के राहत पैकेज विभिन्न सेक्टरों में दिए जाने का ऐलान समय-समय किया गया है, लेकिन आज भी राज्य सरकार किसानों के गन्ना मूल्य को देने की तरफ कोई कारगर कदम नहीं उठा पा रही है जिसके चलते लगभग 180 करोड़ रुपये का भुगतान किसानों को नहीं हो पाया है। किसानों ने कहा है कि सरकार भले ही उन्हें सहायता न दे पाए, लेकिन कम से कम उनका बकाया तो उन्हें दिलवा दिया जाए जिससे वह धान की रोपाई करवा सकें।

प्रदेश में स्थापित सहकारिता क्षेत्र की चार चीनी मिलों का वर्ष 2019-20 का गन्ना पेराई सत्र नवंबर 2019 में शुरू हो गया था जिसमें जनपद ऊधम सिंह नगर की नादेही मिल द्वारा 28.14, बाजपुर 36.88, किच्छा 45.61 व खटीमा-सितारगंज क्षेत्र का बहेड़ी मिल द्वारा 4.38 लाख क्विटल गन्ने की पेराई की गई थी व इन मिलों द्वारा पेराई किए गए एक करोड़ 15 लाख क्विटल का कुल भुगतान 36927.91 लाख रुपये का भुगतान करना था जिसमें अभी तक 18947.88 लाख रुपये का भुगतान की मिलों द्वारा किया जा सका है, जबकि 17980.03 लाख रुपये का भुगतान अभी तक शेष है। यदि प्रतिशत की बात करें तो सबसे कम भुगतान बहेड़ी द्वारा किया गया है, जबकि कुल भुगतान का 48 प्रतिशत मिलों पर बकाया है जिसकी भरपाई राज्य व केंद्र सरकार द्वारा मिलने वाले धन से की जानी है। इतना ही नहीं लगभग 3 करोड़ 26 लाख जनपद की मिलों द्वारा व 25 लाख 38 हजार बहेड़ी चीनी मिल द्वारा समितियों को कमीशन भी दिया जाना शेष है, जबकि बाजपुर 27 मार्च, नादेही 20 अप्रैल, किच्छा चीनी मिल 4 मई को बंद हो चुकी है।

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कठिन दौर में किसानों का भुगतान रोकना अव्यवहारिक : पड्डा

बाजपुर : भाकियू के प्रदेशाध्यक्ष कर्म सिंह पड्डा ने कहा है कि तराई का किसान प्रचलित खेती पर ही अपना जीवनयापन करता है जिसके चलते गन्ना, गेहूं, धान किसानों की प्रमुख फसलें हैं, ऐसे में इस बार गेहूं का उपज प्रतिशत काफी कर रहा है और किसानों को ठीक से लागत भी वापस नहीं मिल पाई है। धान की रोपाई के लिए किसान के पास पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं, वहीं प्रवासी मजदूरों के लॉकडाउन के कारण अपने प्रदेशों में चले जाने के कारण इस बार लागत भी बढ़ जाएगी जिसके चलते किसानों को धन की अत्यंत आवश्यकता है। सरकार 180 करोड़ रुपये का बकाया तत्काल एकमुस्त जारी करे, तभी किसानों को कुछ राहत मिल सकेगी।

सम्मान निधि नहीं गन्ना मूल्य भुगतान दे सरकार : रंधावा

बाजपुर : भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष अजीत प्रताप सिंह रंधावा ने कहा कि लॉकडाउन के चलते केंद्र व राज्य सरकार द्वारा जितने भी राहत पैकजों की घोषणा की गई है उसमें किसान को कोई लाभ नहीं हुआ है, जबकि भारतीय किसान यूनियन द्वारा प्रति किसान परिवार को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की राशि को 50 हजार रुपये प्रति किसान किए जाने की मांग की गई थी, सरकार द्वारा इस ओर 20 लाख करोड़ के पैकेज में कोई भी ध्यान नहीं दिया जाना चिता का विषय है। ऐसे कठिन समय में अन्नदाता का अनादर उचित नहीं है, फिर भी किसान उदारवादी है और हमारी मांग है कि सरकार यदि हमें कोई सहायता नहीं दे सकती तो कम से कम हमारा पैसा ही हमें वापस कर दे।


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