दुग्ध संघ की सेहत नासाज, करोड़ों की देनदारी अटकी
संवाद सहयोगीगूलरभोजपशुपालकों की सेहत संवारने वाले दुग्ध संघ की सेहत नासाज है। मार्केटिग
संवाद सहयोगी,गूलरभोज:पशुपालकों की सेहत संवारने वाले दुग्ध संघ की सेहत नासाज है। मार्केटिग नहीं होने से संघ पर समितियों का करोड़ों बकाया हो गया है। जिसके चलते उत्पादकों को समयबद्ध भुगतान करने में समितियों को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यहीं नहीं दुग्ध मूल्य में की गई एक रुपये की कटौती को वापस करने में भी संघ के पसीने छूट रहे हैं।
जिलें में तकरीबन 430 सक्रिय दुग्ध समितियां है। पशुपालक इन समितियों पर दुग्ध की आपूर्ति करते हैं। समितियों पर एकत्र दूध को संघ भेजा जाता है। जहां से दुग्ध की कुल वसा और एसएनएफ के अनुपात में समितियों के बैंक खातों में भुगतान किया जाता है। गुजरी 16 फरवरी के बाद से समितियों को दुग्ध मूल्य का भुगतान नहीं करने से पशुपालकों की रोज-रोजी पर संकट खड़ा हो गया है। भुगतान के लिए दर-दर भटक रहे खफा पशुपालकों ने समिति पर दुग्ध आपूर्ति ठप करने की चेतावनी दी। इंसेट -----
वापस नहीं हुई मूल्य कटौती
गूलरभोज:बीते साल 25दिसंबर से पहले दुग्ध संघ समितियों को 33.95 रुपये प्रति किग्रा की दर से फैट का भुगतान करता था। लेकिन,26 दिसंबर को एक रुपये कटौती के बाद आज तक कटौती को वापस नहीं किया गया है। जबकि मूल्य कटौती की सीधी मार पशुपालकों के आपूर्ति किए गए दूध पर पड़ रही है। वर्जन ------
इस समय 60-65 हजार लीटर दूध के सापेक्ष आधे की खपत हो रही है। शेष दूध को मदर डेयरी व बाकी सरप्लस दूध का पॉवडर में कनवर्जन किया जा रहा है। मार्केटिग नहीं होने से तकरीबन आठ से नौ करोड़ का घी,मक्खन,पॉवडर स्टॉक हो चुका है। हालात को दुरुस्त किया जा रहा है। जल्द भुगतान कर दिया जाएगा।
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डॉ.पीएस नागपाल, पीएंडआइ, उधमसिंह नगर दुग्घ संघ