भक्ति व ज्ञान की त्रिवेणी से जीवन बनाए प्रयागराज : चैतन्य महाप्रभु
स्वामी चैतन्यपुरी महाराज ने कहा व्यक्ति भक्ति व ज्ञान की त्रिवेणी से अपने जीवन को प्रयागराज बना सकता है।
जागरण संवाददाता, किच्छा : स्वामी चैतन्यपुरी महाराज ने कहा व्यक्ति भक्ति व ज्ञान की त्रिवेणी से अपने जीवन को प्रयागराज बना सकता है। वह चाहे तो गृहस्थ जीवन को ही तपोवन बना सकता है उसके लिए उसे गुफाओं व हिमालय पर जाने की भी आवश्यकता नहीं है। जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित हो और उस लक्ष्य को हासिल करने का प्रयास निरंतर होते रहना चाहिए।
विशाल संकीर्तन महोत्सव के दूसरे दिन स्वामी हरि चैतन्य पुरी महाराज ने भागवत शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि 'भा' यानी भाव सृजन करने वाली, 'ग' यानी गर्व को नष्ट करने वाली, 'व' यानी वर्ण व वर्ग भेद को समाप्त करने वाली। 'त' यानी तपस्चर्या परिपूर्ण जीवन जीने का संदेश देने वाली है। शांत उदार व प्रेमी भक्त हो जाना यह मानव जीवन की महिमा है। जो शांत होगा वह उदार व जो उदार होगा वह भक्त होगा, ऐसा जीवन ही पूर्ण जीवन है व ब्रह्मा का साक्षात्कार भी यही है । श्रीराम-भरत के मिलाप का उदाहरण देते हुए कहा भरत ने स्वयं को राम के रंग में पूरी तरह रंग लिया तो 14 वर्ष की तन की दूरी भी दिल से दूर नहीं कर पाई। सत्संग के उपरांत विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में लोगों ने प्रतिभाग किया ।