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खटीमा में 'कमल' दिखा पाएगा कमाल!

राजू मिताड़ी खटीमा भाजपा का गढ़ कहने वाले खटीमा ब्लाक में इस बार भी कमल कमाल दिख

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Oct 2019 11:39 PM (IST)Updated: Wed, 23 Oct 2019 06:28 AM (IST)
खटीमा में 'कमल' दिखा पाएगा कमाल!
खटीमा में 'कमल' दिखा पाएगा कमाल!

राजू मिताड़ी, खटीमा: भाजपा का गढ़ कहने वाले खटीमा ब्लाक में इस बार भी 'कमल' कमाल दिख पाएगा यह सवाल बड़ी तेजी से राजनीति के गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। वर्तमान राजनीति समीकरण देखा जाए भारतीय जनतापार्टी इस बार भी ब्लाक प्रमुख की कुर्सी से बहुत दूर दिखाई दे रही है। क्योंकि भाजपा के सांसद और विधायक भी भाजपा के हैं, प्रदेश में सरकार भी है। लिहाजा पार्टी के लिए यह कुर्सी एक प्रतिष्ठा का विषय बनी हुई है। चर्चा है कि बिना सदस्यों के कमल कैसे कमाल दिखा पाएगा। इसको लेकर अब लोग अपना राजनीतिक गुणा भाग कर रहे हैं। राजनीतिक पंडि़तों की मानें तो अधिकांश क्षत्रपों का हाथ मजबूत दिखाई दे रहा है।

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ब्लाक प्रमुख की कुर्सी पर कौन होगा

'नामधारी'

खटीमा: भारतीय जनता पार्टी ने ब्लाक प्रमुख और जिला पंचायत की कुर्सियों को पाने के लिए इस बार व्यापक स्तर पर मंथन किया था। इसी के तहत क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्यों के जितने के बाद ब्लाक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष की सीटों पर पार्टी का परचम लहराने की योजना बनी थी। इसी के तहत बकायदा प्रभारी नियुक्त किए गए थे। पूरी विंग मजबूती से लगी हुई थी। लोकसभा और विधानसभा की तर्ज पर भारतीय जनता पार्टी ने इनको पूरे चरणबद्ध तरीके से चुनाव लड़या था। क्षेत्र में दो बार भाजपा का झंडा फहराने वाले विधायक-सांसद-सत्ता के साथ पूरी संगठनात्मक शक्ति लगी हुई थी। बावजूद जो परिणाम आए हैं उसे भाजपा खेमे में निराशा हाथ लगी है। राजनीति पंडि़तों का कहना है कि रानीतिक ऐसी चीज है कब किस करवट उठ-बैठ जाए कहा नहीं जा सकता है। मतगणना के बाद अब बात जोड़-तोड़ की शुरू हो गई है। इस मामले में दोनों गुट चल पड़े हैं। लेकन उस कुर्सी में जो नामधारी होगा वही कुर्सी पर बैठ सकेगा। अब नामधारी कौन होगा यह तो समय ही बताएगा। बहरहाल राजनीतिक पंडि़तों का कहना है कि वर्तमान समीकरणों के हिसाब से कमल क्षेत्र पंचायत की राजनीति में कमाल दिखा पाता है कि नहीं। अधिकांश क्षत्रप हाथ मजबूत बनाने को जुट गए हैं। प्रतिष्ठा पूर्ण पंचायत चुनाव की राजनीति परिणाम चौकाने वाले जो सामने आए हैं ऐसे में भाजपा खेमे के माथे में बल दे दिया है। विधायक-सांसद-संगठन शक्ति के बाद भी अगर प्रमुख की सीट उनके पाले में नहीं गई तो उनके लिए बड़ी निराशाजनक स्थिति रहेगी। इधर, विपक्ष अपनी सत्ता बचाए रखने के लिए पूरी एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं। कुल मिलाकर इस सीट पर कोई नामधारी ही बैठेगा यह कौन होगा यह भविष्य के गर्त में है।


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