बीमार कैदियों के दर्द से कराह रही सेंट्रल जेल
खूंखार कैदियों को नियंत्रित कर अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाली सेंट्रल जेल अब बीमार कैदियों से कराह रही है।
आशुतोष मिश्र, सितारगंज
खूंखार कैदियों को नियंत्रित कर अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाली सेंट्रल जेल अब बीमार कैदियों के दर्द से कराह रही है। सेंट्रल जेल में न तो अस्तपाल है और न ही डाक्टर। जेल में बंद तीस फीसद कैदी बीमार है। अन्तर्राष्ट्रीय डान समेत खूंखार कैदियों से भरी इस जेल में जेल प्रशासन बंद कैदियों की सुरक्षा की जगह
बीमार कैदियों को सही सलामत रखने की चिता में है। इसी वजह से सुरक्षा के साथ कैदियों की सेहत जेल के अधिकारियों के लिए चुनौती बनी हुई है। प्रतिदिन इलाज कराने के लिए जेल का एक सुरक्षा दस्ता बीमार कैदियों को साथ लेकर साठ किलोमीटर दूर हल्द्वानी के अस्पताल पहुंचता है। पचास से साठ कैदी ऐसे है जिन्हे नियमित इलाज की जरूरत पड़ती है। सुरक्षा दस्ता के जाने से जहां रोजाना जेल की सुरक्षा व्यवस्था में कमी आती है वहीं एंबुलेंस का पेट्रोल खर्च जेल का आíथक बोझ बढ़ा देता है।
वर्ष 2008 में संपूर्णानंद शिविर खुली जेल की 22 एकड़ जमीन में बनी सेंट्रल जेल का लोकार्पण पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद खंडूरी ने किया था। 512 कैदियों की क्षमता वाली इस जेल में अभी तक अस्पताल नही है। सुरक्षा के साथ अन्य व्यवस्थाएं भी अधूरी है वर्ष 2010 से सेंट्रल जेल का इस्तेमाल शुरू हो गया था। जब बाढ़ का पानी खुली जेल में भर गया था। उस वक्त खुली जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे कैदियों को सेंट्रल जेल में शिफ्ट कर दिया गया था। वर्ष 2011 से प्रदेश की विभिन्न जेलो से यहां पर कैदी शिफ्ट होने लगे थे। मौजूदा समय में 625 कैदी जेल में बंद है। जिनमें तीस फीसद कैदी बीमार है। लगभग सौ कैदी साठ-सत्तर वर्ष की आयु के है। पचास से साठ कैदी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त है। जिन्हे नियमित इलाज की जरूरत होती है। जेल प्रशासन जेल में अस्पताल व डाक्टर न होने की वजह से गंभीर बीमार किसी न किसी कैदी को प्रतिदिन इलाज के लिए साठ किलोमीटर दूर हल्द्वानी के एसटीएच ले जाता है। कैदी के साथ सुरक्षा गार्डो का एक दस्ता भी जाता है। जिसकी वजह से जेल प्रशासन को जेल की सुरक्षा में नियमित कमी महसूस कराता है। जबकि जेल में अंडरवर्ड डान पीपी जैसे लोग बंद है।
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गंभीर बीमारियों से ग्रस्त है कैदी
सेंट्रल जेल के अधीक्षक दधिराम मौर्य का कहना है कि जेल में बंद पचास से साठ कैदी हार्ट, दमा, अस्थमा, टीबी जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त है। जिनका नियमित इलाज चलता है। जेल में अस्पताल व डाक्टर न होने से उन्हें इलाज के लिए हल्द्वानी भेजा जाता है। डाक्टर की तैनाती के लिए उच्च अधिकारियों को अवगत कराया गया है।
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एक महीने में बीमारी से दो कैदियो की मौत
दो साल पहले तक एक चिकित्सक को कैदियों के इलाज के लिए जेल से संबद्ध किया गया था। लेकिन उसके बाद खुली जेल में तैनात फार्मेसिस्ट ही कम बीमार कैदियों को दवा देते है। नियमित डाक्टर न होने से बीमार कैदियों का इलाज बेहतर ढंग से नहीं हो पाता। जिसकी वजह से उनकी मौत हो जाती है। एक महीने में दो बीमार कैदियों की मौत हो चुकी है।