भाई की प्रेरणा ने बनाया मुझे खिलाड़ी
अंतरराष्ट्रीय टेबल टेनिस खिलाड़ी गीता टंडन कपूर का कहना है कि भाई की प्रेरणा ने मुझे खिलाड़ी बनाया है।
काशीपुर, [डॉ. मानसी सिंह]: अंतरराष्ट्रीय टेबल टेनिस खिलाड़ी गीता टंडन कपूर अमेरिका के लॉस वेगास में चल रही अंतरराष्ट्रीय टेबिल टेनिस में क्वार्टर फाइनल में मांसपेशियों के साथ न देने से आगे न खेल पाईं, जबकि इस स्पर्धा में गीता ने अमेरिका में विश्व के टॉप-8 खिलाड़ियों में भी जगह बनाई थी।
दैनिक जागरण से विशेष वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि मैं तो जीतकर ही आती, लेकिन मेरी मांसपेशियों ने साथ छोड़ दिया। उनसे जब पूछा गया कि आप अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी कैसे बनीं व आपके टेबल टेनिस में आदर्श कौन हैं। तो उन्होंने हंसते हुए कहा कि मेरे भाई पंकज टेबिल टेनिस खेलते थे और मैं उन लोगों को बस बॉल ला-लाकर पकड़ाती थी। यह लगभग 1979 की बात है, जब मैं महज 8 वर्ष की थी। एक दिन भाई के साथ के लोग नहीं आए थे।
उन्होंने मुझसे पूछा कि तुम खेलोगी? मैंने कहा हां। खेलने के बाद भाई ने उनसे पूछा कि इतना अच्छा खेलना कहां से सीखा तो उन्होंने जवाब दिया कि आप लोगों को देख-देख कर मैं दीवार में बॉल मारती हूं, बस। यहीं से फिर गीता का टेबिल टेनिस खेलने का सफर शुरू हो गया। सबसे पहले काशीपुर जो उनका मायका है।
10 वर्ष से भी कम उम्र में यूपी की चैंपियन कविता को हराया। उन्होंने कई पदक भी प्राप्त किए। सबसे बड़ी बात है कि वह विश्व स्तर पर काशीपुर व कानपुर का नाम रोशन कर रही हैं। उन्होंने बताया कि टेबिल टेनिस में उनके आदर्श पोलैंड के गुरुवा अंदराज हैं। इसके अलावा उनके पिता स्व. राजनारायण टंडन व माता छाया टंडन की भी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका है।
उन्होंने बताया कि जब उन्होंने खेलना शुरू किया था, उस समय लोगों की लड़कियों के प्रति संकीर्ण मानसिकता होती थी। बावजूद इसके उनके पिताजी ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए निरंतर प्रोत्साहित किया। सबसे ज्यादा वह अपने भाई के प्रति कृतज्ञ हैं जिन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी। वह कहतीं हैं मैं आयकर अधिकारी हूं। मेरे खेल के दौरान विभागीय लोगों ने हमेशा परिवार की तरह सहयोग, प्यार व आशीर्वाद दिया। आगे की खेल रणनीति पर उनका कहना है कि विश्व चैंपियन बनना उनका सपना है।
कानपुर में डॉ. अमल प्रसाद के घर रोज सुबह दो घंटा खेल का अभ्यास करती हैं। भारत में टेबिल टेनिस की स्थिति पर वह कहती हैं कि हम लोगों के समय सुविधा नहीं थी। 2018 के कॉमन वेल्थ में हमारे यहां के युवा वर्ग ने जो उत्साह दिखाया है, उससे लगता है शीघ्र ही भारत स्वर्ण पदक लाएगा। इंदुपुरी के बाद कोई बड़ा नाम अब तक टेबिल टेनिस में भारत में नहीं है। कहा कि युवाओं के साथ ही महिलाओं के लिए यह सबसे अच्छा खेल है। उन्हें आगे आना चाहिए।
मां भगवती की उपासक
गीता कहती हैं कि मेरे जीवन की सारी उपलब्धियां मां भगवती की कृपा से हैं। वह चाहे कितनी भी व्यस्त हों, लेकिन मां की पूजा किए बिना वह एक दिन भी नहीं रहतीं। बताती हैं कि काफी कम उम्र से वह सोमवार का व्रत रहती हैं। कई देशों में जाने के बाद भी उनके व्यक्तित्व में भारतीय संस्कार ही समाहित हैं। वह लोगों की मदद व समाजसेवा भी हमेशा करती रहती हैं।
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