एनएच 74 की राह में प्रशासनिक रोड़े
दोराहा से सितारगंज एनएच 74 की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहा है।
कंचन वर्मा, रुद्रपुर
दोराहा से सितारगंज, एनएच 74 की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। समय पूरा होने के बाद भी इस हाईवे के 12 किलोमीटर दायरे में निर्माण बाकी है। अड़ंगा खुद प्रशासनिक मशीनरी ही बनी है। कहीं मुआवजा का इश्यू है तो कहीं संरचनाएं हटने का इंतजार। बैठकों में लंबे-चौड़े दावे पर नतीजा सिफर। यही वजह है कि एक्सीडेंटल जोन बने शहर के प्रमुख चौराहों से वीआइपी स्टेच्यू तक नहीं हटे हैं। ऐसे में 65 किलोमीटर पर टोल वसूल रही निर्माणदायी संस्था को भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
इस एनएच चौड़ीकरण की नींव पांच मार्च 2014 को रखी गई थी। निर्माणदायी संस्था को निर्माण कार्य दिसंबर 2016 तक पूरा करना था। अब मियाद गुजरे भी दो साल हो गए हैं पर 77 किलोमीटर लंबे इस हाईवे पर 12 किलोमीटर दायरे में काम अधूरा है। तमाम दुश्वारियां हैं, जिनका रास्ता खुद प्रशासन ही नहीं निकाल पा रहा है। बैठकों में एनएचएआइ और निर्माणदायी संस्था पर प्रशासन की नूराकुश्ती भले ही दिखे पर अपना ही काम प्रशासन नहीं कर पा रहा। 547 संरचनाएं हटाने बाद ही सड़क चौड़ी हो सकेगी, लेकिन सभी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। कभी पुलिस का रोना तो कभी एसडीएम का। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर एनएच का काम पूरा कब होगा।
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यहां फंसा पेच
-गदरपुर बाईपास की बात करें तो 8.8 किलोमीटर लंबे इस मार्ग पर बिजली पोल और लाइन के अलावा सरकारी और निजी पेड़ों का मुआवजा बंटना बाकी है।
-शहर के भीतर तेल मिल के पास चार सौ मीटर पैच में निर्माण बाकी है। इसमें दो सौ मीटर सोबती होटल के सामने डिबडिबा यानी उप्र में आता है।
-रम्पुरा, भूरारानी में एक लाइन ही टू लेन बनी है। लेफ्ट में 7-8 राइस मिलें हटनी हैं, जिनमें मुआवजे का पेंच फंसा हुआ है।
-भूरारानी से एलायंस गेट तक सिर्फ संरचनाओं का पैसा मिलने से लोग कब्जा नहीं छोड़ रहे।
-दूधिया बाबा मंदिर से मेडिसिटी अस्पताल तक 1.41 किलोमीटर में विधायक की जमीन का पेंच फंसा है।
-कुल 547 संरचनाएं हटाई जानी हैं जिनमें तीन चार मूर्तियां भी शामिल हैं। इन मूर्तियों की शि¨फ्टग को जगह का चयन न हो पाना।
-शिमला पिस्तौर में 130 मीटर के दायरे में एक फैक्ट्री बाधा बन रही है।
-भिटौरा, सितारगंज में 460 मीटर का हिस्सा गजट में छूट जाने से अभी तक निर्माणदायी संस्था के हैंडओवर नहीं हो सका है।
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क्या हुआ हाईकोर्ट के आदेश का समाजसेवी अजय तिवारी की याचिका पर हाईकोर्ट ने 21 अगस्त 2018 को जिला प्रशासन और एनएचएआइ के परियोजना निदेशक को छह माह में काम पूरा कराने के आदेश दिए थे। प्रदेश सरकार से भी जमीन उपलब्ध कराने को कहा था। छह माह बीतने पर भी निर्माणदायी संस्था को जमीन उपलब्ध नहीं कराई गई है। ऐसे में निर्माण पूरा हो तो कैसे?
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अधूरे हाईवे पर कहां एक्सीडेंट जोन -शहर के प्रमुख चौराहे गाबा चौक, इंदिरा चौक और डीडी चौक के साथ ही किच्छा का दरऊ चौक, यहां बीआईपी स्टेच्यू न हटना बड़ा खतरा है।
-किच्छा मार्ग पर सड़क किनारे ट्रं¨चग ग्राउंड, जिसका कूड़ा बाइक लेन तक आ रहा है।
-भिटौरा, सितारगंज में 460 मीटर का टुकड़ा
-शिमला पिस्तौर में 130 मीटर फैक्ट्री का हिस्सा
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नहीं निकल पा रही किश्त भी
पूरे मार्ग का चौड़ीकरण न हो पाने के साथ ही विभिन्न निकास भी दुखदायी बने हैं। निर्माणदायी संस्था के लिए बैंक की किश्त तक निकाल पाना मुश्किल हो रहा है। दोराहा से किच्छा तक आने वाले वाहन बिना शुल्क ही गुजर रहे हैं। वहीं बरेली जाने वाले वाहन किच्छा रोड से न गुजरकर नगला होते हुए निकल रहे हैं। वर्जन--------
हाईवे पर जहां भी हमें जमीन उपलब्ध हो रही है, चौड़ीकरण का काम किया जा रहा है। जहां बाधा है, वहां प्रशासन को अवगत करा दिया गया है। बाधाएं दूर होते ही निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
-पीके चौधरी, वरिष्ठ प्रबंधक, केएसएचपीएल, गल्फार