खेती को बढ़ावा देंगे 350 जैविक खाद पिट
रुद्रपुर में रसायन युक्त खेती के प्रयोग से अनाज हो या सब्जियां इनकी पौष्टिकता पर असर पड़ रहा है।
बृजेश पांडेय, रुद्रपुर
रसायन युक्त खेती के प्रयोग से अनाज हो या सब्जियां इनकी पौष्टिकता पर असर पड़ रहा है। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग की ओर से किसानों को जोड़ा जा रहा है। जिले में जल्द ही करीब साढ़े तीन सौ जैविक खाद पिट बनकर तैयार हो जाएंगे। इसके बाद जिले में जैविक खेती से अधिक किसान जुडे़ंगे।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत जिले में जैविक खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। मनरेगा, कृषि विभाग के साथ कन्वर्जन कर इस कार्य को धरातल पर लाने की योजना चल रही है। जैविक खेती के लिए हाल ही में जिले में करीब तीन हजार हेक्टेयर भूमि का प्रमाणीकरण भी सफल हो चुका है। अब बारी है जैविक खाद बनाने की तो कूड़ा कचरा हो या गोबर इन सभी को एकत्रित कर एक स्थान पर लाया जाएगा। इसके बाद खाद बनाने की प्रक्रिया के लिए जिले के सातों ब्लॉक काशीपुर, रुद्रपुर, बाजपुर, गदरपुर, खटीमा, सितारगंज और जसपुर में 350 जैविक खाद पिट बनाए जाएंगे। हालांकि यह योजना पिछले वर्ष आई थी लेकिन पिछले वर्ष इनमें करीब 70 पिट नहीं बन सके थे। इस बार करीब 170 पिट स्वीकृत हुए हैं। इसे बनवाने वाले विभाग की ओर से संबंधित किसान को 4500 रुपये अनुदान स्वरूप दिए जा रहे हैं। नवंबर तक यह पिट तैयार हो जाएंगे।
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छह मास्टर ट्रेनस संभाल रहे जिम्मेदारी
जैविक खाद पिट की गुणवत्ता और सही से निर्माण को लेकर विभाग कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता। इसके लिए विभिन्न ब्लॉकों की जिम्मेदारी अलग-अलग छह जैविक मास्टर ट्रेनर को लगाया गया है, जो अपनी देखरेख में पिट का निर्माण कराएंगे।
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जैविक खाद
कंपोस्ट को कूड़ा खाद भी कहते हैं। पौधों के अवशेष पदार्थ, घर का कूड़ा कचरा, मनुष्य का मल, पशुओं का गोबर आदि का जीवाणु द्वारा विशेष परिस्थिति में विच्छेदन होने से यह खाद बनती है। अच्छा कंपोस्ट खाद गंध रहित भूरे या भूरे काले रंग का भुरभुरा पदार्थ होता है। इसके 05 से 10 फीसदी पोटाश व अन्य गौण पोषक तत्व होते हैं।
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जैविक खाद के लाभ एवं महत्व
जैविक खाद के इस्तेमाल से मिट्टी की प्राकृतिक उपजाऊ शक्ति का विकास होता है एवं मिट्टी अधिक समय तक अच्छी फसल देने में सक्षम रहती है। जैविक खाद फसल और मिट्टी दोनों के लिये लाभकारी है। जैविक खेती से भूमि के जल स्तर में वृद्धि होती है। जल और मिट्टी के माध्यम से होने वाले प्रदूषण में कमी लाती है।
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जिले में जैविक खाद पिट बनाए जाने के जिए कार्य चल रहा है। जल्द ही दो माह में पिट बनकर तैयार हो जाएंगे। अब तक करीब 30 फीसदी काम पूरा भी हो चुका है। किसानों को जैविक खेती की ओर रूझान है। तीन हजार हेक्टेयर का प्रमाणीकरण हुआ है। इनमें जैविक खेती कराई जाएगी।
-डॉ. अभय सक्सेना, मुख्य कृषि अधिकारी, ऊधम सिंह नगर