आइसीटी को जोड़कर शिक्षा को बनाया जा सकता है प्रभावी
रुद्रपुर में शिक्षण में आइसीटी को जोड़कर शिक्षा को और भी प्रभावी बनाया जा सकता है।
जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : शिक्षण में आइसीटी को जोड़कर शिक्षा को और भी प्रभावी बनाया जा सकता है। इसलिए इस पर गौर करने व समझने तथा समझाने की आवश्यकता है।
जिला शिक्षा व प्रशिक्षण संस्थान में राष्ट्रीय सेमिनार के अंतिम दिन वक्ताओं ने शिक्षण में सूचना एवं संचार तकनीकी आइसीटी का अनुप्रयोग और भविष्य में संभावनाओं पर चर्चा की। गुरुवार को कार्यक्रम का शुभारंभ डायट प्राचार्य धर्म सिंह रावत ने किया। इस दौरान उन्होंने अब तक कोरोना काल के दौरान आइसीटी क्षेत्र में किए गए कार्यों को साझा किया। मुख्य वक्ता आइआइएम काशीपुर के डा. मृदुल माहेश्वरी ने कहा कि आइसीटी के माध्यम से शिक्षक किस प्रकार तकनीकी संशाधनों का प्रयोग कर शिक्षण को और अधिक प्रभावी बना सकते हैं इसे समझने की जरूरत है। उन्होंने आइसीटी के प्रयोग को लेकर सुझाव विभिन्न तरीके एवं लिट्रेसी कौशल जैसे विषयों पर विस्तृत जानकारी दी। एसोसिएट प्रो. डा. शुभा कांडपाल ने प्राचीनकाल से शिक्षण पद्धति को जोड़ते हुए वर्तमान में आइसीटी के प्रयोग पर चर्चा की। डायट बागेश्वर से डा. सीएम जोशी ने विषय पर प्रकाश डाला। रवि प्रताप सिंह ने कक्षा में आइसीटी के प्रयोग करने के तरीके बताए। इसके अलावा ए अफगानी, मिनू नयाल ने भी अपने विचार रखे। सेमिनार समन्वयक बीपी जोशी ने सभी प्रतिभागियों को आनलाइन रिसोर्सेस और ओपन एजुकेशन रिसोर्सेज को शिक्षण से जोड़ने व एनसीईआरटी की ओर से चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से बताया। सेमिनार में डायट रुड़की, चंपावत, अल्मोड़ा, उत्तरकाशी, भीमताल, टिहरी, बागेश्वर के शिक्षकों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर डा. अजंता बिष्ट, चेतना मिश्रा, सीमा, डा. आशुतोष वर्मा, एसके सिंह, आरएम पांडेय, श्रद्धा रानी, संजय, नीरज ने हिस्सा लिया।