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पिता सांस के लिए तड़पते रहे, बेटी एंबुलेंस के लिए गिड़गिड़ाती रही

सीमांत में कोरोना संक्रमण से हुई मौत ने मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं के दावों की पोल खोल दी है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 09:19 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 09:19 PM (IST)
पिता सांस के लिए तड़पते रहे, बेटी एंबुलेंस के लिए गिड़गिड़ाती रही
पिता सांस के लिए तड़पते रहे, बेटी एंबुलेंस के लिए गिड़गिड़ाती रही

संवाद सहयोगी, खटीमा: सीमांत में कोरोना संक्रमण से हुई मौत ने मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं के दावों की पोल खोल दी है। मृतक की बेटी ने स्वास्थ्य व्यवस्था को कठघरे में ला दिया है। आरोप है कि बीमार पिता सांस लेने के लिए तड़पते रहे, बेटी उनकी जान बचाने को एंबुलेंस के लिए सरकारी सिस्टम के सामने गिड़गिड़ाती रही और सरकारी तंत्र चार घंटे तक मूकदर्शक बना रहा। चार घंटे बाद एंबुलेंस पहुंची, लेकिन बिना ऑक्सीजन। ऐसे में उसके पिता की जान नहीं बचाई जा सकी। सुविधाओं पर सवालिया निशान लगाते हुए मृतक की बेटी ने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर कार्रवाई की मांग की है।

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पीडि़त परिवार की बेटी ने आपबीती का एक पत्र जिलाधिकारी को भेजा है। जिसमें बताया कि मंगलवार के लगभग 12 बज रहे थे। पिता की सांसे उखड़ रही थी। वह पहले से ही बुखार से पीडि़त थे। अस्पताल ले जाने के लिए चिकित्सा सेवा वाहन 108 को कॉल किया। जवाब मिला कि आप 112 में कॉल करिए। बेटी ने बताया कि परिवार में मां व छोटे भाई था ऐसे में वह पिता को अकेले कैसे उठाकर ले जा सकते थे। तुरंत 112 को कॉल की गई। वहां से भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला। बताया आपकी सूचना आगे पहुंचा दी जाएगी। दो अन्य नंबर दिए और बोले, कोविड के लिए अलग एंबुलेंस लगी है। आप उनसे संपर्क करें। उस नंबर पर कॉल किया तो कहा गया आप कंटेमेंट जोन में नहीं रहते हो यह सुविधा आपको नहीं मिलेगी। आपकी मदद 108 ही करेगी। कई कोशिशों के बाद तीन बजे एक एंबुलेंस पहुंची। चालक ने कहा वे पीपीई किट नहीं पहने हैं, आप उठाकर एंबुलेंस में रखो। हम उठा नहीं पाए तो चालक ने कहा किसी और को लेकर आओ। एंबुलेंस को वापस आने में एक घंटा लग गया। वाहन में ऑक्सीजन न होने के चलते हालत बिगड़ती जा रही थी। अस्पताल पहुंचने पर उन्हें आक्सीजन मिली, रैपिड जांच में पॉजीटिव आने के बाद रुद्रपुर भेज दिया गया। जिसके बाद वह पिता को देख न सकीं और मौत की सूचना मिली। आरोप यह भी है कि जब पिता को देखने नहीं दिया तो साथ उसी एंबुलेंस में खटीमा क्यों भेजा गया। बेटी ने कहा कि हमारे घर में पिता हीं कमाने वाले थे जो अब नहीं रहे। भाई और मां के अलावा कोई नहीं है। इस तरह की लापरवाही से उन्होंने सब कुछ खो दिया है। कोई और ऐसी लापरवाही का शिकार न हो इसके लिए प्रशासन से कार्रवाई की मांग की है। कहा कम से कम उनके परिवार की रैपिड जांच तो कराई जानी चाहिए।


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