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सूदखोरों के चंगुल में फंसे गरीब से लेकर व्यापारी

कैचवर्ड बुरा हाल -परेशान लोग दे रहे जान पुलिस महकमा साधे हुए है चुप्पी जागरण संवादद

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Sep 2019 10:40 PM (IST)Updated: Tue, 10 Sep 2019 10:40 PM (IST)
सूदखोरों के चंगुल में फंसे गरीब से लेकर व्यापारी
सूदखोरों के चंगुल में फंसे गरीब से लेकर व्यापारी

कैचवर्ड :: बुरा हाल

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-परेशान लोग दे रहे जान, पुलिस महकमा साधे हुए है चुप्पी

जागरण संवाददाता, रुद्रपुर :ऊधमसिंहनगर में सूदखोरों का बोलबाला है। गरीब से लेकर व्यापारी तक सूदखोरों के चंगुल में फंसे हुए हैं। ऐसे में कई बार पीड़ित लोग सूदखोरों से परेशान होकर आत्मघाती कदम उठाने को मजबूर हो रहे हैं। बुधवार रात को लालपुर निवासी कालीचरण ने सूदखोर की प्रताड़ना से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी। यह पहला मामला नहीं है जब किसी ने सूदखोरों के चलते जान दी हो। इससे पहले रुद्रपुर के साथ ही जिले के कई अन्य थाना क्षेत्रों में लोग अपनी जान दे चुके हैं, जबकि कई शहर छोड़ चुके हैं।

सूदखोरों के चंगुल में फंसने के बाद कम ही कर्जदार उनके जंजाल से बाहर आ पाते हैं। अधिकतर तो ब्याज ही भरते रह जाते हैं। सूदखोर रकम और ब्याज की वसूली के नाम पर कर्जदार को जमकर लूटते हैं। कई बार तो ब्याज इतना ज्यादा हो जाता है कि कर्जदार का जेवर, मकान, प्लाट तक सूदखोर हथिया लेते हैं। बड़े सूदखोर योजनाबद्ध तरीके से अवैध कारोबार चला रहे हैं। सूदखोर पहले ही ब्याज काटकर कर्ज देते हैं। कर्ज देने से पहले कर्ज लेने वाले से हस्ताक्षरयुक्त ब्लैंक चेक या स्टांप ले लिया जाता है और फिर आठ से 12 फीसदी मासिक ब्याज पर कर्ज दिया जाता है। इसके बाद मूल रकम के साथ ही ब्याज वसूली का खेल शुरू हो जाता है। मूल रकम से दो से तीन गुना से अधिक रकम कर्जदार ब्याज में चुका भी देता है लेकिन उस पर कर्जा बरकरार रहता है। सूदखोर का रकम न चुका पाने की स्थिति में वह अपनी जान दे देते हैं।

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केस-1

वर्ष 2014 में रवींद्रनगर निवासी प्रह्लाद ने महिला सूदखोर से कुछ रुपये ब्याज में लिए थे। सूदखोर के अपमान से बचने के लिए उसने फंदे से लटककर जान दे दी। उसकी जेब से मिले सुसाइड नोट में लिखा था कि उसने कुछ माह पहले एक महिला सूदखोर से रुपये लिए थे। रुपये लौटाने के बद भी महिला सूदखोर उससे और रुपये की मांग करने लगी। इसके लिए वह उसे जहां तहां अपमानित करती थी।

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केस-2

वर्ष 2015 में ट्रांजिट कैंप निवासी युवक ने सूदखोर से ब्याज में रुपये लिए थे। ब्याज न देने पर सूदखोर ने साथियों के साथ मिलकर गंगापुर रोड पर उस पर हमला कर दिया था। इससे वह घायल हो गया था। मामला पुलिस तक पहुंचा तो सूदखोर ने बचने के लिए युवक से समझौता कर मामला रफा-दफा कर दिया था।

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केस-3

अक्टूबर 2016 ट्रांजिट कैंप निवासी हरचरन ने सूदखोर से 25 हजार रुपये ब्याज में लिए थे। उसने ब्याज समेत नगदी लौटा दी थी। बावजूद इसके सूदखोर उस पर लगातार रुपयों के लिए दबाव डालते रहे। विरोध करने पर उन्होंने हरचरन से मारपीट कर दुकान में तोड़फोड़ कर दी।

केस-4

वर्ष 2018 में लालपुर निवासी एक व्यापारी ने सूदखोर से लाखों की रकम ली थी। उसने रकम और ब्याज भी लौटा दी थी। बावजूद इसके सूदखोर पांच लाख रुपये बकाया होने की बात कहकर व्यापारी की कार उठा ले गया था। इस पर व्यापारी ने जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या का प्रयास किया था। यह देख परिजनों ने लोगों की मदद से उसे अस्पताल पहुंचाकर उसकी जान बचाई थी।

केस-5

एक कारोबारी की पत्नी ने महिला सूदखोर से महज एक लाख रुपये का कर्ज लिया था। लगातार ढाई साल से ब्याज सहित किस्त देने के बाद भी कर्ज नहीं चुकाया जा सका। सूदखोर कोरे चेक के सहारे उसे दबाव में लेकर वसूली करती रही। कभी बाजार में बच्चे को रोका जाता तो कभी पति को रोककर पैसा नहीं देने पर बेइज्जती की जाती। इस पर उसे मजबूरन शहर छोड़कर जाना पड़ा।

इनसेट-

संगठित गिरोह की तरह चलता है धंधारुद्रपुर: रसूखदार सूदखोर संगठित ढंग से कारोबार को चलाते हैं। ये लोग कर्जदार से लिया चेक परिचित सूदखोर के नाम मनमानी रकम भरकर उसके मार्फत बैंक से बाउंस कराकर मुकदमा दर्ज कराते हैं। कई बार तो पुलिसकर्मी भी सूदखोरों की मदद कर कर्जदारों को परेशान करते हैं। सूदखोरों में बुजुर्ग महिला भी शामिल है जो पुलिस में शिकायत होने पर खुद को लाचार साबित करने में कसर नहीं छोड़ती।

इनसेट-शिकायत करने से कतराते हैं लोगरुद्रपुर: बेहद जरूरतमंद व्यक्ति ही सूदखोर से कर्ज लेता है, इसलिए उस पर कर्ज चुकाने का खासा दबाव रहता है। कर्जदार तो पूरी रकम चुकाना चाहता है, मगर ब्याज की रकम ही इतनी ज्यादा होती है कि उसकी कमाई इसे चुकाने में ही चली जाती है। सिर पर कर्ज होने की वजह से वह पुलिस प्रशासन से शिकायत करने का जोखिम उठाने में कतराता है। ऊपर से सूदखारों का रसूख भी उनको ऐसा करने से रोक देता है।


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