सरकारी जमीन पर थी प्लाटिग की योजना
जागरण संवाददाता रुद्रपुर पंडरी राघवनगर में कब्जाई गई सरकारी भूमि पर प्लाटिंग की योजन
जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : पंडरी राघवनगर में कब्जाई गई सरकारी भूमि पर प्लाटिंग की योजना थी। साढे चार एकड़ भूमि पर जगह-जगह पीलर भी लगा दिए गए थे। खुद तहसीलदार ने जिलाधिकारी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में इस बात को माना है। पीलर को तत्काल हटाने के आदेश भी दिए गए थे, हालांकि ये बात दीगर है कि एक माह बाद भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। तहसील किच्छा की आनंदपुर ग्राम सभा का पंडरी राघवनगर गांव सुर्खियां बना हुआ है। यहां युवक मंगल दल, वृक्षारोपण और सामान्य आबादी के लिए तहसील के खाते में दर्ज साढे चार एकड़ भूमि पर खड़े पेड़ काटने से लेकर जमीन कब्जाने तक कई अधिकारी और कर्मचारी लपेटे में हैं। ग्राम प्रधान वीरेंद्र यादव व 50 अन्य के खिलाफ किच्छा थाने में मुकदमा तक दर्ज हो चुका है। प्रधान की कारस्तानी को हाईकोर्ट ने भी गंभीरता से लेते हुए सरकार से जवाब तलब किया है। कब्जाधारियों ने इस भूमि को कब्जाने के साथ ही सिडकुल की जमीन पर भी झोपड़ियां डाल ली हैं। एक साथ सबा सौ झोपड़ियां पड़ने के पीछे कहानी जमीन पर प्लाटिंग को लेकर जुड़ी है। जनसुनवाई दिवस में शिकायत के बाद हुई जांच में खुद तहसीलदार ने इस बात को स्वीकार किया है। खसरा नंबर 173, 174 और 175 में दर्ज इस भूमि पर लगाए गए छोटे-छोटे पीलर को हटाने के निर्देश उन्होंने ग्राम प्रधान को एक माह पहले ही दे दिए थे लेकिन आज तक ये पीलर नहीं हट सके। इसके पीछे कहीं न कहीं राजनीतिक संरक्षण भी सामने आ रहा है। कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध है जिन्होंने पापुलर के 665 पेड़ों पर आरी चलवाने में अहम भूमिका निभाई। क्योंकि मामला तत्कालीन सरकार के कार्यकाल से जुड़ा है तो ऐसे में गहराई में जाने की जरूरत है। खैर, तहसीलदार के अतिक्रमणकारियों के खिलाफ आदेश के बाद भी आज स्थिति पहले जैसी ही है। सूत्र बताते हैं कि जमीन पर जो झोपड़ियां डाली गई हैं, उनसे 15-15 हजार रुपये तक लिए गए। यह उन लोगों की झोपड़ियां हैं जिनके गांव में पक्के मकान है। ऐसे में इन झोपड़ियों में कोई रहता नहीं है। फिलहाल हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल करने वाले जितेश राय का कहना है कि वह ग्राम समाज की इस सम्पत्ति को खुर्द-बुर्द नहीं होने देंगे। इनसेट---- संदेह में प्रधान, उसी को जिम्मेदारी
रुद्रपुर : जनसुनवाई दिवस में शिकायत के बाद तहसीलदार की ओर से जिलाधिकारी को सौंपी गई जांच रिपोर्ट हास्यापद है। लोगों का आरोप था कि खुद ग्राम प्रधान प्लाटिग की योजना तैयार कर रहा है। ऐसे में ग्राम प्रधान जांच के दायरे में था पर तहसीलदार ने उसी को निर्देशित किया कि प्लाटिग कर रहे लोगों को रोकें, अतिक्रमण न हो और पीलर हटवा दें। ऐसे में यह रिपोर्ट भी कई संदेह पैदा करती है। यही वजह है कि नौ अप्रैल को जिलाधिकारी को भेजी गई इस जांच रिपोर्ट पर एक माह बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।