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जहरीली हवा में घुल रही ¨जदगी

दिल्ली व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बाद स्मॉग का कहर तराई में भी असर दिखाने लगा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 11:48 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 11:48 PM (IST)
जहरीली हवा में घुल रही ¨जदगी
जहरीली हवा में घुल रही ¨जदगी

जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : दिल्ली व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बाद स्मॉग का कहर तराई में भी असर दिखा रहा है। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। औद्योगिक नगर के जिला चिकित्सालय में पिछले एक सप्ताह में दमा, सीओपीडी (क्रॉनिकल ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) व सीओएडी (क्रोनिक अब्सट्रक्टिव एयरवे डिजीज) के मरीजों की संख्या पांच से आठ गुना तक बढ़ गई है। आलम यह है कि ओपीडी पहुंचने वाला हर तीसरा व्यक्ति इससे पीड़ित है। जिला अस्पताल के जनरल फिजीशियन डॉ. गौरव अग्रवाल ने बताया कि अस्थमा, सीओएडी, एलर्जी, ब्रोनकाइटिस, सांस के मरीजों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। इससे लोगों को सर्दी-जुखाम के साथ छीक आना, सांस फूलना आदि की समस्याएं हो रही हैं। -- इनसेट---

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दमा, सीओएडी व सीओपीडी के मरीजों में वृद्धि

क्रोनिक अब्सट्रक्टिव एयरवे डिजीज ( सीओएडी ), क्रॉनिकल ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज ( सीओपीडी ) सांस संबंधित व फेफड़े की बीमारी है, जिससे सांस फूलने के साथ बलगम बनता है। यह बीमारी बीड़ी-सिगरेट पीने वालों व लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाने वाली महिलाओं को अधिक होती हैं। इसमें श्वसन तंत्र फेल हो जाता है और ऑक्सीजन सेचुरेशन तय मानक 92 से घटने लगता है व सीओपीडी टाइप 2 में ऑक्सीजन कम व कार्बन डाई ऑक्साइड अधिक बनने लगता है, जिससे जीभ नीली पड़ने लगती है, हालांकि समय से इलाज पर यह ठीक हो जाता है। अस्पताल में दमा के मरीजों की तेजी से वृद्धि हो रही है। ---- इससेट ----

हवा हो रही जहरीली

शहर में चल रहे विकास कार्य, चार सौ से ज्यादा फैक्ट्रियां व वाहनों से निकलने वाले धुएं से प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। वहीं ठंड व मौसम में नमी के कारण स्मॉग का रूप बनने लगता है। वहीं घरों के भीतर क्वाइल जलाने के साथ ही लोग अन्य उपकरणों का प्रयोग धड़ल्ले से कर रहे हैं, जिसके कारण घर के अंदर भी वातावरण विषैला होता जा रहा है।

--इनसेट--

विज्ञानियों के सेमिनार में मौसम को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु में तेजी से परिवर्तन का मुख्य कारण बढ़ता प्रदूषण है। रिपोर्ट के अनुसार जमीन से करीब तीन किलोमीटर ऊपर प्रदूषण की एक परत लगातार घनी हो रही है। हवा में नमी की वजह से प्रदूषित कण एक जगह जमा होकर परत बना लेते हैं, जिसके कारण जमीन से उठने वाली गर्मी उस परत से टकरा कर लौटती रहती है और वातावरण में फैलकर तापमान बढ़ती है।

-डॉ. आरके ¨सह, मौसम विज्ञानी, जीबी पंत कृषि विवि --- इनसेट ---

बचाव के उपाय

-घर के बाहर मास्क लगाकर निकलें

-धुआं व धूल वाले स्थानों से दूर रहें

-रात में सोते समय पंखा न चलाएं

-दमा व श्वांस रोगी सुबह जॉगिंग से बचें

-सुबह-शाम गरारे के साथ गर्म पानी का भाप

- बाजार के खुले खाद्य पदार्थों का सेवन बिल्कुल न करें

- चिकित्सकों की सलाह खूब पानी पीए व खुले में जॉगिंग से करें परहेज -- वर्जन ---

फेफड़े संबंधी मरीजों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ गई है। वातावरण में प्रदूषण तत्वों की मात्रा बढ़ना ¨चतनीय व खतरनाक है। लोग बताए गए सावधानियां बरत कर इससे बच सकते हैं।

-डॉ. गौरव अग्रवाल, जनरल फिजिशियन, जवाहर लाल नेहरू जिला चिकित्सालय

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इस समय ज्यादा प्रदूषण शहर में तेजी से हो रहे कंस्ट्रक्शन कार्य व वाहनों से निकलने वाले धुएं से हो रहा है। जहां तक फैक्ट्रियों का सवाल है वह अपनी कंपनियों में इसे कम करने के लिए कार्य करते रहते हैं ताकि प्रदूषण के कण हवा के संपर्क में न आएं। वहीं चार्ट के मुताबिक मध्यम प्रदूषण 101 से 200 और खराब प्रदूषण 301 से 400 की मात्रा को रखा गया है।

-- सुभाष चंद्र पंवार, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड


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