14 माह में यूएसनगर में 15 मुकदमें वापस
उत्तराखंड शासन ने मात्र 14 माह में यूएस नगर जिले में 15 मुकदमें वापस लिए गए।
जागरण संवाददाता, काशीपुर : उत्तराखंड शासन ने मात्र 14 माह में यूएस नगर जिले में 15 मुकदमें वापस लिए गए। खास बात यह है कि इनमें से सात मुकदमें कैबिनेट मंत्री अरविद पाण्डेय के शामिल हैं। सरकार द्वारा वापस लिए गए मुकदमें में कई मामले गंभीर मामलों में दर्ज किए गए थे। नवम्बर 2018 से दिसम्बर 2019 तक ऊधमसिंह नगर जिले के 15 अपराधिक मुकदमें वापस लेने की जानकारी का खुलासा आरटीआइ के तहत मांगी गई सूचना के आधार पर हुई है।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने अभियोजन निदेशालय से उत्तराखंड सरकार द्वारा आपराधिक मुकदमें वापस लेने के संबंध में सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में संयुक्त अभियोजन निदेशक कार्यालय के लोक सूचनाधिकारी/सहायक अभियोजन अधिकारी ऊधमसिंह नगर ने नवम्बर 2018 से दिसम्बर 2019 तक शासन द्वारा वापस लिये गये मुकदमें की सूची उपलब्ध करायी है। उपलब्ध सूची के अनुसार इसमें सर्वाधिक सात मुकदमें अरविंद पांडे के विरूद्ध दर्ज हैं जबकि एक-एक मुकदमा ओमवीर सिंह, कन्हैय्या लाल, बलविन्दर सिंह, रवीन्द्र बजाज, नरेश कुमार, भारत भूषण आदि तथा नरेंद्र मानस के विरूद्ध शामिल हैं। चार मुकदमें ऐसे भी है जिनमें अरविन्द पांडे के साथ अन्य व्यक्तियों के नाम शामिल है इन्हें अरविन्द पांडे आदि के विरूद्ध दर्शाया गया है।
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मंत्री के खिलाफ ये मुकदमें हुए वापस
कैबिनेट मंत्री पर सरकार कुछ ज्यादा ही मेहरबान रही है। अरविन्द पांडे के विरूद्ध शासन द्वारा वापस लेने के आदेश किये गये मुकदमों में जसपुर थाने का 139/2012, बाजपुर का 238/2013, 21/2015, 158/2014, 294/2011 रुद्रपुर का 139/2008 तथा गदरपुर थाने का 152/2015 शामिल है।
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अन्य जिनके खिलाफ वापस हुए मुकदमें
ओमवीर सिंह का खटीमा थाने में दर्ज 161/2016, कन्हैय्या लाल का किच्छा का 359/2013, बलविन्दर सिंह का बाजपुर थाने का 121/2017, रविन्द्र बजाज का गदरपुर थाने का 65/2013, गुरमीत सिंह का रुद्रपुर थाने का 286/2013, नरेश कुमार का काशीपुर थाने का 291/2014, भारत भूषण आदि का रुद्रपुर थाने का 147/2010 तथा नरेन्द्र मानस पर काशीपुर थाने का मुकदमा संख्या 178/2013 शामिल है।
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गंभीर मामले में दर्ज मुकदमें वापस हुए
अपराधों के मुकदमों को वापस लेने का आदेश दिया गया है इसमें हत्या का प्रयास, लूट, वर्गों में विद्वेष फैलाने तथा सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने तथा अनुसूचित जाति व जनजाति उत्पीड़न सम्बन्धी गंभीर अपराध भी शामिल हैं। मुकदमा वापसी वाले अपराधों में सर्वाधिक भारतीय दंड संहिता की धारा 147(बलवा) के 13, धारा 341 (रास्ता रोकना) व 353 (लोक सेवक पर हमला व बल प्रयोग) के 7-7, धारा 427 (सम्पत्ति को नुकसान) व 332 (लोक सेवक को चोट पहुंचाना) के 6-6 धारा 504 (अपमान करना) के 5, धारा 148 (खतरनाक हथियारों के साथ बलवा) 149(अवैध भीड़ द्वारा अपराध), 323 (चोट पहुंचाना) व 506 (धमकी देना) के 4-4, धारा 153ए (वर्गों के बीच शत्रुता फैलाना) 333 (लोक सेवक को गंभीर चोट) के दो अपराध शामिल हैं। अतिरिक्त धारा 109 (अपराध को उकसाना), 153 (बलवे को उकसाना) 171च(चुनाव में अवैध प्रभाव डालना), 186(लोक सेवक के कार्यों में बाधा डालना) 295ए (धाíमक भावनाओं का अपमान), 307(हत्या का प्रयास), 325 (गंभीर चोट) 336(मानव जीवन को खतरनाक कार्य), 393 (लूट का प्रयास), 395 (डकैती), 412 (डकैती की सम्पत्ति को प्राप्त करना), 436 (घर आदि में आग लगाना) तथा 511 (अपराध का प्रयास करना) के एक-एक अपराध शामिल है। इन अपराधों में एससीएसटी एक्ट के 2 तथा 7 सी एल एक्ट के 8 अपराध भी शामिल हैं।