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अंतिम संस्कार के लिए नहीं थे पैसे, पत्नी का शव लेकर चंडीगढ़ से अपने गांव पहुंचा युवक

टिहरी के प्रतापनगर ब्लॉक का भेलुंता गांव निवासी एक युवक पत्नी का शव लेकर अंतिम संस्कार करने चंडीगढ़ से अपने गांव पहुंच गया। युवक के पास अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं थे।

By Edited By: Published: Tue, 21 Apr 2020 09:37 PM (IST)Updated: Wed, 22 Apr 2020 03:15 PM (IST)
अंतिम संस्कार के लिए नहीं थे पैसे, पत्नी का शव लेकर चंडीगढ़ से अपने गांव पहुंचा युवक
अंतिम संस्कार के लिए नहीं थे पैसे, पत्नी का शव लेकर चंडीगढ़ से अपने गांव पहुंचा युवक

नई टिहरी, जेएनएन। प्रतापनगर ब्लॉक का भेलुंता गांव निवासी एक युवक पत्नी का शव लेकर अंतिम संस्कार करने चंडीगढ़ से अपने गांव पहुंच गया। युवक ने बताया कि उसके पास पत्नी के अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं थे और किसी ने उसकी मदद भी नहीं की। बताया कि उसकी पत्नी बीमार थी, लेकिन समय से उपचार न मिल पाने के कारण उसकी मौत हो गई।

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लॉकडाउन चंडीगढ़ में रहने वाले टिहरी जिले के एक युवक पर बहुत भारी पड़ा। युवक भगत राम चंडीगढ़ के एक होटल में नौकरी करता था। कुछ समय से उसकी पत्नी शांता देवी (25 वर्ष) की तबीयत खराब थी। लेकिन, लॉकडाउन के चलते वह समय से उसका उपचार नहीं करा पाया। बीती 19 अप्रैल को शांता की पीजीआइ चंडीगढ़ में मौत हो गई। भगत राम ने बताया कि उसकी जेब में फूटी कौड़ी भी नहीं थी, लेकिन भरोसा था कि गांव में लोग उसकी मदद जरूर करेंगे। इसलिए वह प्राइवेट एंबुलेंस में पत्नी का शव लेकर सोमवार को अपने गांव भेलुंता पहुंच गया।

हुआ भी ऐसा ही, ग्रामीणों ने न केवल एंबुलेंस का 15 हजार रुपये किराया चुकाया, बल्कि उनके सहयोग से भगत राम पत्नी का अंतिम संस्कार भी कर पाया। भगत राम ने बताया कि लॉकडाउन के बाद उसके मकान मालिक ने कमरा खाली करवा दिया। लेकिन, उसे किसी भी स्तर पर मदद नहीं मिली। पूर्व जिला पंचायत सदस्य मुरारी लाल खंडवाल ने बताया कि लॉकडाउन के चलते अन्य प्रदेशों में रह रहे उत्तराखंड के लोगों को परेशानी हो रही है। इस मामले में सरकार को गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए।

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