सीमांत गांव को रोशनी का इंतजार
संवाद सहयोगी, चंबा: सरकार ने गांवों के विकास के दावे तो बहुत किए हैं, लेकिन उन गांवों का क्या होगा,
संवाद सहयोगी, चंबा: सरकार ने गांवों के विकास के दावे तो बहुत किए हैं, लेकिन उन गांवों का क्या होगा, जिन्हें अभी विद्युत की सुविधा तक नहीं मिल सकी है। प्रखंड चंबा के सीमांत गांव चुलीसैण और गदाल्डयूं के लोग आज भी लैंप की रोशनी के सहारे जीवन यापन कर रहे हैं।
प्रखंड चंबा के दूरस्थ गांव चुलीसैण और गदाल्डयूं गांव में बुनियादी सुविधाएं तो दूर बिजली की रोशनी तक नहीं पहुंची है। ग्राम पंचायत पुजाल्डी के इन दोनों गांव के करीब डेढ़ सौ परिवार आज भी अंधेरे में रहने को मजबूर हैं। प्रखंड के सीमांत गांव होने के कारण शासन-प्रशासन का ध्यान अभी तक इन गांवों की ओर नहीं है। खास बात यह है कि गांव के लोगों ने कई बार विद्युतीकरण की मांग को लेकर आंदोलन तक किया था, लेकिन इसके बावजूद उनकी समस्या की अनदेखी की गई। गांव के लोग आज भी लैंप, लालटेन व चीड़ के छिलकों के सहारे जीवन व्यतीत कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि आज का युग वैज्ञानिक युग है और दिनचर्या के अधिकांश काम बिजली के माध्यम से ही किए जाते हैं, लेकिन जब बिजली की सुविधा ही नहीं है तो क्या करें। ग्रामीण अपना मोबाइल चार्ज कराने के लिए एक किमी दूर दूसरे पड़ोसी गांव जाते हैं। ग्रामीण सोहन लाल, जितेंद्र आदि का कहना है कि अब तो अंधेरे में रहने की आदत हो गई है, लेकिन जब दूसरे गांव में बिजली की रोशनी देखते हैं, तो फिर शासन-प्रशासन के प्रति गुस्सा आता है। लेकिन करें भी क्या। सरकार को चाहिए कि गांव का जल्द विद्युतीकरण करें। वहीं, इस बारे में ऊर्जा निगम के एसडीओ अमित तोमर का कहना है कि उक्त गांवों के विद्युतीकरण के लिए टेंडर हो गए हैं और जल्द ही विद्युतीकरण किया जाएगा।