लाइफ को लाइफलाइन का इंतजार
संवाद सहयोगी, नई टिहरी: जिले के 120 गांव अभी सड़क से जुड़ने शेष हैं। इनमें 36 गांवों में तो अभी तक सड़
संवाद सहयोगी, नई टिहरी: जिले के 120 गांव अभी सड़क से जुड़ने शेष हैं। इनमें 36 गांवों में तो अभी तक सड़क की स्वीकृति ही नहीं मिल पाई है, जबकि अन्य गांवों के लिए सड़क तो स्वीकृत है, लेकिन कुछ कारणों से वह बन नहीं पा रही हैं। इन गांवों को दो से लेकर पांच किमी तक का पैदल सफर करना पड़ रहा है। जिन गांवों के लिए अभी तक सड़क स्वीकृत नहीं हो पाई है, उन्हें सड़क सुविधा के लिए अभी लंबा इंतजार करना पड़ेगा।
जिले के सबसे दूरस्थ गांव गंगी में कुछ दिन पहले ही सड़क पहुंची है। गंगी के ग्रामीणों को अभी तक दस किमी की पैदल दूरी नापनी पड़ती थी। गंगी के बाद अब गांव ¨पसवाड़ में भी सड़क पहुंचने वाली है। यहां भी ग्रामीणों को मोटर मार्ग तक पहुंचने के लिए छह किमी पैदल चलना पड़ता था। वहीं, अभी भी 120 गांव ऐसे हैं, जहां अभी तक सड़क पहुंचना सपने देखने जैसा है। इसमें 36 गांव ऐसे हैं, जहां के लिए अभी तक सड़क स्वीकृत ही नहीं हो पाई है। इन गांवों के ग्रामीणों को सड़क के लिए वर्षों इंतजार करना पड़ेगा। जबकि 84 गांवों के लिए सड़क तो स्वीकृत हो रखी है, लेकिन वन अधिनियम, समरेखण, मुआवजा के चक्कर में सड़क का काम अभी तक आरंभ नहीं हो पाया है। ऐसे में दो से पांच किमी की पैदल दूरी नापना ग्रामीणों की मजबूरी बन गया है। सबसे ज्यादा परेशानी बीमार लोगों को अस्पताल पहुंचाने में होती है। सड़क के अभाव में गांवों का विकास भी अवरुद्ध हो रहा है। वहीं छात्रों को भी स्कूल जाने के लिए पैदल दूरी नापनी पड़ती है। खाद्यान्न सामग्री भी ग्रामीण पीठ पर ढ़ोते हैं। अब देखना यह है कि इन गांवों को और कितना इंतजार करना होगा।
- जिले में 36 गांवों में सड़क को अभी तक स्वीकृति नहीं मिल पाई है, जबकि अन्य गांव के लिए सड़क की स्वीकृति तो मिली है लेकिन किन्हीं कारणों से इनका कार्य आरंभ नहीं हो पाया है। इसके लिए प्रयास किए जा रहे है।
नरेंद्र पाल ¨सह
अधीक्षण अभियंता