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बड़े भाई की मौत के बाद हुई धुन सवार; उगा दिया जंगल, जानिए

बड़े भाई की मौत के बाद विश्वेश्वर दत्त सकलानी को पौधे लगाकर जंगल उगाने की ऐसी धुन सवार हुई कि उनका नाम इतिहास में दर्ज हो गया।

By BhanuEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 10:58 AM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 10:58 AM (IST)
बड़े भाई की मौत के बाद हुई धुन सवार; उगा दिया जंगल, जानिए
बड़े भाई की मौत के बाद हुई धुन सवार; उगा दिया जंगल, जानिए

नई टिहरी, अनुराग उनियाल। टिहरी राजशाही के खिलाफ आंदोलन कर रहे नागेंद्र दत्त सकलानी की गोली लगने के बाद हुई मौत ने छोटे भाई  विश्वेश्वर दत्त सकलानी को तोड़कर रख दिया। बड़े भाई की मौत के बाद उन पर पौधे लगाकर जंगल उगाने की ऐसी धुन सवार हुई कि उनका नाम इतिहास में दर्ज हो गया। इतिहासकारों की मानें तो अगर शोध किया जाए तो दुनिया में विश्वेश्वर दत्त सकलानी से ज्यादा पौधे किसी भी व्यक्ति ने शायद ही उगाए होंगे।  

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विश्वेश्वर दत्त सकलानी का गत दिवस घर में निधन हो गया था। वर्ष 1922 में जौनपुर ब्लॉक की सकलाना पट्टी के पुजार गांव में कृपाराम सकलानी के घर में विश्वेश्वर दत्त सकलानी का जन्म हुआ। चार भाईयों में वह सबसे छोटे थे। 

बचपन से ही विश्वेश्वर दत्त को प्रकृति से प्रेम था। इतिहासकार महिपाल सिंह नेगी बताते हैं कि विश्वेश्वर दत्त सकलानी के बड़े भाई नागेंद्र सकलानी टिहरी रियासत के खिलाफ आंदोलन के दौरान वर्ष 1948 में श्रीनगर के पास गोलीकांड में शहीद हो गए थे। 

मात्र 28 वर्ष की उम्र में नागेंद्र सकलानी का निधन होने के बाद विश्वेश्वर दत्त सकलानी टूट गए और अपने भाई की याद में उन्होंने नागेंद्र स्मृति वन बनाने की ठानी और पौधे लगाने शुरू कर दिए। 

पहले अपने खेतों में उन्होंने पौधे लगाए। इसके बाद वन विभाग की भूमि पर भी पौधे लगाने शुरू कर दिए। उन्होंने बांज, बुरांस, देवदार आदि के पौधे लगाए। इस बीच उनकी पत्नी शारदा देवी का भी निधन हो गया। चार बेटे और पांच बेटियों की जिम्मेदारी उठाने के साथ ही विश्वेश्वर दत्त ने पर्यावरण संरक्षण को ही अपना जीवन बना लिया। 

एक हजार हेक्टेयर में उनका उगाया जंगल आज भी हरा भरा है। नेगी बताते हैं कि विश्वेश्वर दत्त सकलानी के लगाए पौधों के बारे में आज तक शोध नहीं हुआ है। इसमें शोध किया जाए तो यकीनन यह दुनिया में एक विश्व रेकार्ड होगा। अकेले किसी व्यक्ति ने इतनी बड़ी संख्या में कहीं पर भी पौधे नहीं लगाए हैं।

वन विभाग का मुकदमा भी झेला

अपनी निजी जमीन पर जब विश्वेश्वर दत्त सकलानी ने पौधे लगा दिए तो उन्होंने उसके बाद वन विभाग की खाली जमीन पर पौधे लगाने शुरू कर दिए। वृक्ष मित्र पुरस्कार मिलने के बाद विश्वेश्वर दत्त सकलानी ने ज्यादा संख्या में पौधे लगाने शुरू कर दिए। वर्ष 1988 के दौरान वन विभाग ने उनके ऊपर जंगलात की जमीन पर खुदाई करने और पौधे लगाने पर मुकदमा दर्ज कर दिया। 

उस दौरान जाने माने वकील और साहित्यकार विद्यासागर नौटियाल ने विश्वेश्वर दत्त सकलानी का मुकदमा लड़ा। 1990 में सीजेएम टिहरी कोर्ट में उनका केस लड़ा और उनके पक्ष में न्यायालय ने फैसला दिया। नौटियाल ने साबित किया कि वन भूमि पर पेड़ लगाना अपराध नहीं है। उसके बाद विश्वेश्वर दत्त सकलानी के पक्ष में न्यायालय ने फैसला सुनाया। 

बनाई थी अपनी नर्सरी 

विश्वेश्वर दत्त सकलानी ने पौधे लगाने के लिए किसी भी विभाग और संस्था की मदद नहीं ली। अपने प्रयास से ही उन्होंने गांव में ही नर्सरी तैयार की। उस नर्सरी से ही पूरे साल भर पौधे तैयार करते और उनका रोपण करते थे। पूरे वर्ष भर वह पौधे लगाने के बाद उन पौधों को जिंदा रखने के लिए उनकी देखरेख और सिंचाई भी करते थे। 

निधन पर जताया शोक 

विश्वेश्वर दत्त सकलानी के निधन पर विधायक धन सिंह नेगी, भाजपा जिलाध्यक्ष संजय नेगी, कांग्रेस प्रवक्ता शांति प्रसाद भट्ट, कांग्रेस जिलाध्यक्ष सूरज राणा, नगर पालिका अध्यक्ष सीमा कृषाली, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष चंबा विक्रम सिंह पंवार, जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवाण, जिला पंचायत सदस्य अखिलेश उनियाल आदि ने शोक जताया। 

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