ईगाश दीवाली की तैयारी में जुटे हैं ग्रामीण
संवाद सहयोगी, नई टिहरी : जिले के कई क्षेत्रों में ईगाश की दीवाली मनाई जाती है। कार्तिक की दीपावली के
संवाद सहयोगी, नई टिहरी : जिले के कई क्षेत्रों में ईगाश की दीवाली मनाई जाती है। कार्तिक की दीपावली के ठीक ग्यारह दिन बाद इस दीवाली को मनाया जाता है। ग्रामीण इस दीवाली की तैयार में जुट गए हैं। स्थानीय भाषा में इसे ईगाश बग्वाल कहते हैं। इसको लेकर भी ग्रामीणों में काफी उत्साह रहता है। जो ग्रामीण कार्तिक की दीपावली में गांव नहीं पहुंचे, वह ईगाश दीवाली मनाने अपने गांव आते हैं।
जिला मुख्यालय से सटे सारज्यूला पट्टी के कोटी, बालमा, नवागर, पांगरखाल, सगवाण गांव, सौंदकोटी के अलावा भिलंगना प्रखंड के नैलचामी, भिलंग पट्टी व चंबा व प्रतापनगर प्रखंड के अधिकांश गांवों में यह दीवाली मनाई जाती है। जिले में ईगाश दीवाली मनाने की भी सदियों से परंपरा रही है। कहा जाता है कि क्षेत्र में एक वीर भड़ था। वह जंगल में लकड़ी के लिए गया था, लेकिन वह जंगल में रास्ता भटक गया। जब वह घर नहीं पहुंचा तो क्षेत्रवासियों को उसकी चिता हुई। कार्तिक की दीपावली के ग्यारह दिन बाद जब वह गांव लौटा तो क्षेत्रवासी खुशी से झूम उठे और खुशी में दीवाली मनाई। तब से यह दीवाली मनाई जाती है। करीब सौ साल से भी पहले से कई गांवों में यह दीवाली मनाई जाती है। इस दौरान भी जमकर पटाखे जलाए जाते हैं और मंडाण का आयोजन होता है। गांवों में पकवान बनाकर एक-दूसरे के घरों में पहुंचाया जाता है। नैलचामी गांव की प्रधान ऋषिता श्रीयाल, कोटी गांव के दिनेश सिंह का कहना है कि इस बार अधिकांश प्रवासी गांव पहुंचे हैं, इसलिए ईगाश दीवाली को भी इस बार धूमधाम से मनाया जाएगा।