ग्रामीणों के मकानों में फैलने लगी दरारें, दहशत
टिहरी झील प्रभावित क्षेत्रों में मकानों में दरारें और खेतों में भूस्खलन की समस्या के अब बढ़ने का खतरा मंडल रहा है। ग्रामीणों के मकानों में पड़ी पुरानी दरारें पिछले कुछ दिनों से फैलने लगी हैं।
जागरण संवाददाता, नई टिहरी: टिहरी झील प्रभावित क्षेत्रों में मकानों में दरारें और खेतों में भूस्खलन की समस्या के अब बढ़ने का खतरा मंडल रहा है। ग्रामीणों के मकानों में पड़ी पुरानी दरारें पिछले कुछ दिनों से फैलने लगी हैं। जिससे ग्रामीणों में दहशत है।
टिहरी झील से सटे पलास छोलगांव निवासी जबर सिंह और सुदंर सिंह के मकानों में झील के प्रभाव के कारण कुछ माह पहले दरारें पड़ गई थीं। अब दरारें फैलने लगी हैं। जबर सिंह ने बताया कि झील के कारण उनके मकानों में दरारें पड़ी हैं। खेतों में भी दरारें चौड़ी हो रही हैं। सरकार को हमारा विस्थापन करना चाहिए, उसके बाद ही झील का जलस्तर बढ़ाना चाहिए था। झील से सटे उथड़ गांव निवासी यशपाल, मोहन सिंह, गोविद सिंह, हुक्म सिंह और सुनीता देवी के खेतों की फसलें भी झील में डूब गई हैं। सुनीता देवी ने बताया कि पशुओं के चारे के लिए भी अब झील किनारे जाने में डर लग रहा है। लुणेटा गांव निवासी चिमामणि और मोहन लाल के खेतों में भी पानी भरने में फसल नष्ट हो गई।
झील किनारे रहने वाले ग्रामीणों के मकानों में पहले से ही दरारें पड़ी हैं अब जलस्तर बढ़ने से कभी भी हादसा हो सकता है। सरकार की लापरवाही कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकती है।
सोहन सिंह राणा, अध्यक्ष, टिहरी झील आशिक डूब क्षेत्र संघर्ष समिति
टिहरी झील का जलस्तर 829.10 मीटर
बारिश थमने के बाद टिहरी झील का जलस्तर भी धीमे धीमे बढ़ रहा है। शुक्रवार को झील का जलस्तर 829.10 मीटर दर्ज किया गया। जबकि 500 क्यूमैक्स पानी भागीरथी और भिलंगना नदी से झील में आया। बांध की तरफ से 446 क्यूमैक्स पानी छोड़ा गया।