जापान में बूढ़ाकेदार का परचम लहरा रहे विकास, बड़ी दिलचस्प है इनकी कहानी; आप भी जानिए
Pravasi Bhartiya Diwas 2021 बूढ़ाकेदार निवासी विकास सेमवाल की जापान के ओसाका शहर में जेजीकेपी (जय गुरु कैलापीर) नाम से रेस्टोरेट श्रृंखला है। विकास का प्रयास रहता है कि हर साल जिले के युवाओं को रेस्टोरेट श्रृंखला के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराया जाए।
मधुसुदन बहुगुणा, नई टिहरी। Pravasi Bhartiya Diwas 2021 कुछ प्रतिभाएं ऐसी होती हैं, जो सफर के दौरान अपने पैरों की छाप छोड़ जाती हैं, जिन पर चलकर दूसरों को भी मंजिल मिल जाती है। इनमें से ही एक हैं बूढ़ाकेदार निवासी विकास सेमवाल। इनकी जापान के ओसाका शहर में जेजीकेपी (जय गुरु कैलापीर) नाम से रेस्टोरेट श्रृंखला है। वर्तमान में विकास के पास पांच रेस्टोरेट हैं, जिनमें से एक का संचालन वो खुद कर रहे हैं, जबकि चार उनके माध्यम से अन्य लोग चला रहे हैं। विकास का प्रयास रहता है कि हर साल जिले के युवाओं को रेस्टोरेट श्रृंखला के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराया जाए। 10 स्थानीय निवासियों को विकास ने जापान में रोजगार भी उपलब्ध कराया है।
42 वर्षीय विकास सेमवाल की जापान जाकर सफल कारोबारी बनने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। दरअसल, साल 2009 में मेरठ से कंप्यूटर साइंस से बीटेक करने के बाद विकास जापान चले गए। वहां उन्होंने एक कंसल्टेंसी में बतौर कंप्यूटर इंजीनियर नौकरी शुरू कर दी। वर्ष 2011 में वैश्विक मंदी के दौरान कंसल्टेंसी बंद हो गई और विकास की नौकरी छूट गई। लेकिन, विकास ने हिम्मत नहीं हारी और जापान में ही कारोबार करने की सोची।
सबसे पहले तो उन्होंने अपने वर्किंग वीजा को बिजनेस वीजा में परिवर्तित कराया। इसके बाद साल 2013 में पहला रेस्टोरेट खोला। रेस्टोरेट चल निकला तो वर्ष 2014 में विकास परिवार को भी ओसाका ले गए। आज वह सफल कारोबारी हैं। विकास जब भी गांव आते हैं तो उनके दोस्त, रिश्तेदार उनसे विदेश में बिजनेस का मंत्र लेते हैं। विकास उन्हें बिजनेस मंत्र देने के साथ ही जापान आने का भी आमंत्रण देते हैं।
संकट की घड़ी में ईष्टदेव बने सहारा
बूढ़ाकेदार में गुरु केलापीर देवता में क्षेत्रवासियों की अटूट श्रद्धा है। देवता के नाम से मार्गशीर्ष में तीन दिवसीय ऐतिहासिक मेला भी आयोजित होता है। विकास कहते हैं, नौकरी छूटने के बाद संकट की घड़ी में उन्हें अपने आराध्य देव की याद आई। इसलिए उन्होंने कैलापीर देवता के नाम से ही एजेंसी खोली। उन्हें पता था कि वो जरूर मददगार होंगे।
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